क्या बैंक एफडी ब्याज दरों में आएगी गिरावट? निवेशकों को ये करने की है जरूरत
मुद्रास्फीति में नरमी और उच्च आर्थिक वृद्धि से आरबीआई को भविष्य में रेट्स को कम करने में मदद मिलेगी. बढ़ती वैश्विक मुद्रास्फीति ही वो कारण थी जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रेपो दर में 2.5% की बढ़ोतरी की. हालांकि, तब से मुद्रास्फीति में कमी आई है.
क्वांटम एएमसी के फंड मैनेजर-फिक्स्ड इनकम, पंकज पाठक कहते हैं, “सरकार ने गैर-पूंजीकरण व्यय (non capitalised expenditure) में केवल मध्यम वृद्धि का अनुमान लगाया है. इससे मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रहना चाहिए और आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिलनी चाहिए.”
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 5.65% से बढ़कर दिसंबर में 5.7% हो गई. हालाँकि, मुख्य मुद्रास्फीति सौम्य बनी हुई है और 2 साल के निचले स्तर 3.9% पर आ गई है. मॉर्गन
स्टैनली के एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, “सब्जियों की कीमतों में तेजी से गिरावट और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण अनुमान है कि हेडलाइन मुद्रास्फीति 1Q24 में 5-5.2% YoY के आसपास सीमित रहेगी और F24 में औसतन 5.4% YoY और F25 में 4.5% रहेगी.”
इन कारणों से एफडी ब्याज दर में गिरावट आने की संभावना
अंतरिम बजट 2024 ने ब्याज दर में तेजी से कटौती का एक नया कारण दिया है. एक्सिस म्यूचुअल फंड के एक नोट में कहा गया है, “5.3-5.4% की बाजार उम्मीदों के मुकाबले 5.1% का कम राजकोषीय घाटे का आंकड़ा बाजार के लिए सकारात्मक रहा है. इसके अलावा, कम सकल बाजार उधार एक और सकारात्मक बात है. जून 2024 से शुरू होने वाले जेपी मॉर्गन इंडेक्स इंडेक्स में एक्सपेक्टेड फ्लो के साथ मिलकर यील्ड को और कम करने में मदद मिलेगी. हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक तरलता पर बदले हुए रुख के साथ बजट को पूरक करेगा और वर्ष की दूसरी छमाही में ब्याज दरें कम होंगी.”
जब भी एफडी दरें गिरनी शुरू होंगी तो इसका सबसे पहले असर छोटी से मध्यम अवधि की ब्याज दरों पर पड़ेगा. इसलिए, अगर आपके पास छोटी से मध्यम अवधि (3 साल तक) के लिए निवेश करने के लिए कुछ पैसे हैं तो आप अभी बुकिंग कर सकते हैं या कम से कम अगले 2-3 महीनों के भीतर ऐसा कर सकते हैं.