Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या के दिन ऐसे करें पितरों की पूजा, नहीं होगी जीवन में कोई परेशानी
आज मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2024) है. इस दिन लोग अपने पूर्वजों के अलावा भगवान विष्णु और भगवान शिव की भी पूजा करते हैं. यह अमावस्या माघ महीने में आती है, और इसकी खासियत ये है कि इस दिन चंद्रमा आसमान में दिखाई नहीं देता है.
इस विशेष दिन पर स्नान और दान का बहुत महत्व होता है.
मौनी अमावस्या शुभ मूहुर्त
आज सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर मौनी अमावस शुरू हो चुका है और यह 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. मौनी अमावस्या के दिन सबसे शुभ माना जाने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना है. मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु मौन व्रत रखते हैं. पितृ दोष पूजा कराते हैं, भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और गंगा में स्नान करते हैं. इस दिन दान, पुण्य और पूजा का अनुष्ठान करना पुण्यकारी माना जाता है. यह जीवन में शांति और सुकून तलाशने और पितृ दोष के लिए अनुष्ठान करने का पवित्र समय है.
इस तरह मौनी अमावस्या पर रखें व्रत
माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस कहा जाता है. मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं, साथ ही हर मनोकामना पूरी होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि यदि मौनी अमावस्या पर मौन रखना संभव नहीं है तो इस दिन अपने विचारों को शुद्ध रखें और मन में किसी तरह के बुरे विचार नहीं आने दें.
इस दिन गंगा स्नान करने से पितृ दोष और शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है. मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2024) पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है. इस दिन अगर मौन रहा जाए तो अद्भुत स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिनको भी मानसिक समस्या है या फिर भय और वहम की समस्या हो, उनके लिए आज का स्नान महत्वपूर्ण है.
मौनी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत ज्यादा महत्व हैं. अगर आप चाहें तो अपने पूर्वजों के लिए इस दिन हवन, पितृ दोष पूजा या फिर पिंड दान जैसे पूजा अनुष्ठान कर सकते हैं. हालांकि, विवाह, सगाई, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे कार्यों के लिए आज का दिन शुभ नहीं माना जाता है.
मौनी अमावस्या पर क्या करें
- सुबह उठकर जल्दी स्नान करें
- अगर संभव हो तो गंगा में पवित्र स्नान करें.
- अपने पूर्वजों के लिए देसी घी का दिया जलाएं.
- पितृ तर्पण और पितृ पूजा करें. इस दिन ऐसा करना शुभ माना जाता है.
- भगवद गीता पढ़ें, हवन और गायत्री मंत्र का जाप करें.
- इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना पुण्य माना जाता है.
- इस दिन कालसर्प दोष पूजा भी करा सकते हैं.