इस जीव का जीन मिल जाए तो अमर होगा इंसान! कितनी भी सर्दी-गर्मी हो ये मरता नहीं, स्पेस में भी बचा लेता है जान
हम बात कर रहे टार्डिग्रेड्स (Tardigrade) की. आठ पांवों वाले सूक्ष्मजीव भीषण गर्मी और जमा देने वाली ठंड में भी कभी नहीं मरता. यहां तक कि जिस अंतरिक्ष में इंसान 2 मिनट भी जिंदा नहीं रह सकता, वहां ये आसानी से वक्त गुजार सकता है. इसे किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि इसके पास खुद को बदलने की एक अद्भुत क्षमता है. यह वहां के वातावरण के हिसाब से अपने शरीर को इस तरह बदल लेता है कि निर्वात भी इस पर बुरा असर नहीं डाल पाता.
टार्डीग्रेड हिमालय में, समुद्र की गहराइयों में, ज्वालामुखी से निकले कीचड़ में और यहां तक कि शून्य से 80 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान वाले अंटार्कटिका में भी पाए गए हैं. ये पानी के बिना भी रह लेते हैं. सोचिए अगर इंसानों को इसका जीन मिल जाए तो शायद वे भी अमर हो जाएं.
इसका राज जानकर साइंटिस्ट भी हैरान रह गए. उनके मुताबिक, टार्डिग्रेड्स मुश्किल हालात में क्रिप्टोबायोसिस अवस्था में चले जाते हैं. एक ऐसी अवस्था, जिसमें ये शरीर का सारा पानी बाहर निकाल देते हैं. इनके शरीर में सिर्फ विशेष प्रोटीन और शुगर रह जाता है, जो इनकी कोशिकाओं को कभी मरने नहीं देता.
यही वजह है कि पानी में रहने इन प्रजातियों को जैसे ही पानी मिलता है, ये पुनर्जीवित हो जाती हैं. थुलथुले शरीर की वजह से कुछ लोग इसे वाटर बीयर या जलीय भालू के नाम से भी जानते हैं.इनका आकार एक मिलीमीटर से बड़ा नहीं होता.वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि पृथ्वी पर कोई भी आपदा आ जाए तो भी ये अपनी जान बचा सकते हैं. क्योंकि इनमें एक खास तरह का जीन होता है. वैज्ञानिकों ने लंबे रिसर्च के बाद इनकी कहानी पता कर ली है.
सूखे की स्थिति में टार्डिग्रेड के कुछ ऐसे जीन सक्रिय हो जाते हैं जो उनकी कोशिकाओं में पानी की जगह ले लेते हैं. फिर वे इसी तरह रहते हैं और कुछ महीनों या सालों बाद जब दोबारा पानी मिलता है तो अपनी कोशिकाओं को वो दोबारा पानी से भर लेते हैं.
इनके अलावा एक और जीव है जो भीषण गर्मी-ठंड में रह लेता है. उसे ‘येती क्रैब’ या येती केकड़ा (Yeti Crab) के नाम से जानते हैं.कड़े खोल वाला यह जीव देख नहीं सकता, लेकिन समुद्र तल से 2,300 फीट नीचे यह रहता है. यहां सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंच पाती. जहां ये रहते हैं वहां से 400 डिग्री सेल्सियस तक गर्म पानी निकलता है.