गंगा से भी है ज्यादा पवित्र क्यों हैं नर्मदा नदी?
हिंदू धर्म के सभी पवित्र तीर्थ क्षेत्र नदी के तट पर बसे हैं। पहाड़ों पर माता रानी का डेरा है। समुद्र तटों पर श्रीहरि का क्षेत्र व्याप्त है।
भारत की प्रमुख पवित्र नदियां 12 हैं- गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, क्षिप्रा, गोदावरी, महानदी़, वितस्ता और ब्रह्म पुत्र। इसमें नर्मदा को सबसे पवित्र माना जाता है। नर्मदा को पवित्र माने जाने के कई कारण हैं। उन्हीं कारणों में से जानते हैं कुछ कारण।
‘गंगा कनखले पुण्या, कुरुक्षेत्रे सरस्वती,
ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।’
– आशय यह कि गंगा कनखल में और सरस्वती कुरुक्षेत्र में पवित्र है किन्तु गांव हो या वन नर्मदा हर जगह पुण्य प्रदायिका महासरिता है।
: पृथ्वी पर नर्मदा नदी का अवतरण कैसे हुआ?
मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है- यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।’
पुराणों के अनुसार नर्मदाजी वैराग्य की अधिष्ठात्री मूर्तिमान स्वरूप है। गंगाजी ज्ञान की, यमुनाजी भक्ति की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, गोदावरी ऐश्वर्य की, कृष्णा कामना की और सरस्वतीजी विवेक के प्रतिष्ठान के लिए संसार में आई हैं।
एक अन्य प्राचीन ग्रन्थ में सप्त सरिताओं का गुणगान इस तरह है। कलकल निनादनी नदी है…हां, नदी मात्र नहीं, वह मां भी है। अद्वितीया, पुण्यतोया, शिव की आनंदविधायिनी, सार्थकनाम्ना स्रोतस्विनी नर्मदा का उजला आंचल इन दिनों मैला हो गया है, जो कि चिंता का विषय है।
‘माघै च सप्तमयां दास्त्रामें च रविदिने।
मध्याह्न समये राम भास्करेण कृमागते॥’
– माघ शुक्ल सप्तमी को मकर राशि सूर्य मध्याह्न काल के समय नर्मदाजी को जल रूप में बहने का आदेश दिया। तब नर्मदाजी प्रार्थना करते हुए बोली- ‘भगवन्! संसार के पापों को मैं कैसे दूर कर सकूंगी?’ तब भगवान विष्णु ने आशीर्वाद रूप में वक्तव्य दिया-