अजीत पवार गुट ही असली NCP, स्पीकर के फैसले के बाद शरद पवार गुट के पास अब क्या है विकल्प?
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एनसीपी विधायक अयोग्यता मामले पर फैसले की घोषणा की. विधानसभा अध्यक्ष ने नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का गुट ही असली पार्टी है. विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले की शरद पवार गुट आलोचना कर रहा है. इस नतीजे में शरद पवार गुट को झटका लगा है. तो अब शरद पवार गुट क्या कदम उठाएगा? इस संबंध में उनके गुट के क्षेत्रीय अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अहम प्रतिक्रिया दी. जयंत पाटिल ने कहा है कि वह विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने शरद पवार से मुलाकात की. वहीं. एनसीपी के नेता जयंत पाटिल और जितेंद्र आहवाड़ भी शरद पवार से मिलने पहुंचे.
मुलाकात के बाद पटोले ने बयान दिया की आज मेरी शरद पवार से मीटिंग हुई, जो फैसला आया है, वो उचित फैसला नहीं है. इसी संदर्भ में आगे की लड़ाई के लिए वरिष्ठ वकीलों से चर्चा चल रही है और जल्द की सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. इसी विषय के लीगल पहलुओं पर चर्चा की गई है.
स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती
जयंत पाटिल ने कहा, संगठनात्मक चुनाव हुए. 2018 के बाद 2022 में कोरोना संकट आया. कोविड की स्थिति में सुधार के बाद अंतरदलीय चुनाव शुरू हुए. राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव हुए. शरद पवार को अध्यक्ष चुना गया. महाराष्ट्र में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया कुछ जिलों में पूरी हो चुकी है. लेकिन यह हमारी पार्टी के संविधान में है कि जब तक नए चुनाव नहीं हो जाते, तब तक पुराने पदाधिकारी ही काम करेंगे.
विधायकों को अयोग्य न ठहराने के पीछे क्या है वजह? जयंत पाटिल ने कहा, ”विधानसभा अध्यक्ष ने शिवसेना और राकांपा दोनों के नतीजों में किसी को अयोग्य नहीं ठहराया. मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इसे स्वीकार नहीं करेगा. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही सुभाष देसाई मामले पर टिप्पणी कर चुका है.
जयंत पाटिल ने कहा,ऐसा लगता है कि बीच का रास्ता किसी भी गुट को अयोग्य घोषित नहीं करना है, क्योंकि अगर इस मामले में किसी को अयोग्य ठहराया गया तो वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, लेकिन अब किसी को भी अयोग्य नहीं ठहराया गया है. तो कोई आपात्कालीन स्थिति भी एक उद्देश्य नहीं हो सकता. अयोग्य घोषित होने पर भी कोई दोबारा चुनाव में खड़ा हो सकता है.”
10वीं अनुसूची पर क्या बोले जयंत पाटिल?
जयंत पाटिल ने कहा कि दसवीं अनुसूची परिभाषित करती है कि कब जनता के प्रतिनिधि अयोग्य हो जाते हैं. अब अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो दसवीं अनुसूची का इस्तेमाल हो गया. इसलिए किसी को धमकी देने का सवाल ही नहीं उठता. अपराध करने के बाद किसी को शेड्यूल दिखाकर यह कहना कि तुम्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, गलत नहीं है. हम 2 जुलाई से पहले 10वीं शेड्यूल नहीं बता रहे थे.
जयंत पाटिल ने कहा कि उन्होंने जो किया उसके बाद हमने दसवीं अनुसूची के तहत याचिका दायर की. पार्टी की उचित बैठक होनी चाहिए. पार्टी के अध्यक्ष को बुलाकर बैठक की जानी चाहिए. जयंत पाटिल ने कहा कि उन्हें लोगों को बुलाना पड़ता था और उनके हस्ताक्षर लेने पड़ते थे, उनमें से ज्यादातर को पता नहीं होता था कि वे किस लिए हस्ताक्षर कर रहे हैं.