आजादी के पहले हुआ करते थे 50 वोटर, सिर्फ लगान देने वाले दे पाते थे वोट
लोकसभा चुनाव को लेकर गाजीपुर जिला प्रशासन के साथ ही चुनाव आयोग और पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से तैयारी में लगा हुआ है. इसके पहले मतदाता सूची को भी जारी कर दिया गया है, जिसके अनुसार मौजूदा समय में जिले में 29 लाख 25 हजार मतदाता हैं. इनमें 15.43 लाख पुरुष और 13.82 लाख महिला मतदाता हैं. इस सूची को आखिरी बार 22 जनवरी को जारी किया गया था.
अगर, बात आजादी के पहले के चुनाव की करें तो उस वक्त चुनाव में मात्र 50 वोटर हुआ करते थे. इन्हीं 50 में से चुनाव लड़ने वाले भी होते थे. इन 50 में भी सिर्फ वह व्यक्ति होते थे, जो टैक्स के रूप में लगान जमा किया करते थे. इनमें गांव के मुखिया, जमींदार, बड़े साहूकार, बड़े काश्तकार आदि थे.
मतदाता सूची में किन-किन लोगों के नाम?
इसके बारे में और अधिक जानकारी दी दिनदार शम्सी एकेडमी एंड रिसर्च सेंटर के क्यूरेटर कुंवर नसीम राजा खान ने. नसीम ने बताया कि 1904, 1905 , 1906 और 1945 की मतदाता सूची, जो परगना जमानिया की है. इस मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या 50 थी. इस मतदाता सूची में नामी और क्षेत्र के मानिंद लोगों का नाम है, जिसमें मुखिया, जमींदार, साहूकार और बड़े काश्तकार हैं.
नसीम राजा खान ने बताया कि 1905 की मतदाता सूची में 19 हिंदू और शेष मुसलमानों के नाम हैं, जबकि 1945 की सूची में सभी मतदाता मुस्लिम समाज के हैं. वहीं 1952 के बाद से हो रहे आम चुनाव में सभी जाति-धर्म के लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया जाने लगा. आज यह लोग अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक और अन्य प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं.
इस तरह के चुनाव क्यों होते थे? इसके बारे में जब नसीम राजा खान से जानकारी ली गई तो पता चला कि 1857 में अंग्रेजों ने ‘लोकल सेल्फ गवर्नमेंट पॉलिसी’ बनाई, जो 1884 में पूरी तरह से लागू हुई. 1909 में इलेक्शन एक्ट पारित हुआ. इसके बाद कई तरह के चुनाव शुरू हो गए, जिसमें क्षेत्र के विकास के लिए नेता चुने जाने लगे. सभी तरह के चुनाव में सिर्फ 50 मतदाताओं की सूची हुआ करती थी.
सिर्फ 4 लोग लड़ते थे चुनाव, 46 लोग देते थे वोट
इसी मतदाता सूची में से मात्र 4 लोग चुनाव लड़ते थे, जिसमें लोकल बोर्ड और डिस्ट्रिक्ट बोर्ड हुआ करता था. कुल मिलाकर चार प्रत्याशी होते थे और 46 वोटर. इन्हीं लोगों में से एक जीतकर लोकल बोर्ड का मुखिया बनता था. वहीं डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का मेंबर राजधानी लखनऊ में बैठा करते थे या फिर दिल्ली जाता था.