कैंसर पीड़ित अन्य कैंसर रोगियों के लिए बन सकते हैं प्रेरणा, दूर कर सकते हैं डर
यदि कोई वास्तव में समझना चाहता है कि क्वालिटी ऑफ लाइफ का क्या अर्थ है तो इसके लिए कैंसर से बचे व्यक्ति से जानना जरूरी है। कैंसर के साथ जीवन आसान नहीं है और जब अंतिम चरण में इसका पता चलता है तो यह और भी अधिक कष्टकारी हो जाता है, इससे क्वालिटी ऑफ लाइफ को भी भारी नुकसान होता है।
अस्पतालों में अनगिनत बार डॉक्टरों से मिलना, बार-बार टेस्ट कराते रहना थका देने वाला होता है। पूरे उपचार चक्र के दौरान व्यक्ति को पीड़ा में छोड़ दिया जाता है, जबकि वह व्याकुल और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित होता है। सर्जिकल प्रक्रियाएं दर्दनाक होती हैं और हमने व्यक्तिगत रूप से कई कैंसर पीड़ितों को कीमोथेरेपी या विकिरण थेरेपी से गुजरते समय अवसाद में डूबते और अफसोस की भावना का अनुभव करते देखा है।
कैंसर के उपचार के दुष्प्रभाव जैसे बालों का झड़ना, अत्यधिक उल्टी, अपच, भूख न लगना, त्वचा में जलन और चकत्ते होना ये सभी कैंसर पीड़ित की स्थिति को इसे और भी बदतर बना देते हैं।
इन कठिनाइयों के बावजूद, हर दिन हजारों लोग सफलतापूर्वक कैंसर के प्रकोप से बच रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि यह बीमारी मौत की सजा नहीं है। सामुदायिक कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों और प्रारंभिक कैंसर निदान में उल्लेखनीय वृद्धि से कैंसर का ऐसे स्तर पर पता लगाने में मदद मिली है जिससे बेहतर उपचार परिणाम प्राप्त करना संभव है।
कैंसर सर्वाइवर्स, अन्य रोगियों की कर सकते हैं मदद
कैंसर से बचे वे लोग जो कैंसर के प्रारंभिक निदान से गुजर चुके हैं और प्रारंभिक चरण की उपचार प्रक्रियाओं का अनुभव कर चुके हैं, वे सबसे बड़े रोगी के एडवोकेट होते हैं जो किसी समुदाय के नागरिकों या कैंसर फाईटर्स के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।