जंग इजरायल और हमास की, समुद्र में उबाल क्यों; हूती विद्रोहियों ने बढ़ाईं भारत की चिंताएं
इजरायल-हमास के बीच युद्ध को दो महीने से ज्यादा हो गए हैं। इसका असर अब समुद्र में भी दिखने लगा है। ईरान समर्थक यमन के हूती विद्रोही समुद्र में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसी बीच, रविवार को अमेरिका ने दावा किया कि लाल सागर में हूती विद्रोहियों ने ड्रोन से भारत के लगे झंडे वाले जहाज पर हमला किया। हूतियों के हमले से समुद्र पूरी तरह से रणक्षेत्र बन गया है और भारत के साथ-साथ दुनिया की भी चिंताएं बढ़ गई हैं।
हमले से कारोबार पर प्रभाव
हमास के समर्थन में हूती विद्रोही लाल सागर से गुजरने वाले कई जहाजों को निशाना बना रहे हैं। बीते एक महीने में हूती विद्रोहियों ने दर्जनभर से अधिक बार व्यापारिक जहाजों पर हमला किया है। इस प्रमुख व्यापारिक मार्ग से अरब, यूरोप, अफ्रीका और भारत भी कारोबार करते हैं। हमले से वैश्विक सप्लाई बाधित होने का खतरा पैदा हो रहा है। कई कंपनियों ने मालवाहक जहाज भेजने बंद कर दिए हैं। वे लंबे मार्ग से अपने जहाज को भेज रहे हैं, जिससे लागत में बढ़ोतरी हुई है।
भारत की चिंता क्यों बढ़ी
दरअसल, हूती विद्रोही जिस समुद्री मार्ग पर हमले कर रहे हैं, वहां से सबसे ज्यादा कच्चे तेल, खाने-पीने की वस्तुएं और अन्य जरूरी उत्पादों की आपूर्ति होती है। यहां से लगभग 20 अरब डॉलर मूल्य का भारतीय निर्यात हर साल इस प्रमुख जलमार्ग से होकर गुजरता है। ऐसे में इन हमलों से आने वाले दिनों में तेल के साथ-साथ जरूरी सामानों के दामों भी बढ़ोतरी होगी।
लाल सागर पर ही निशाना क्यों?
विशेषज्ञों के मुताबिक, लाल सागर से दुनिया का शिपिंग कारोबार 12 फीसदी तक होता है। यहां से हर साल करीब 100 अरब डॉलर की कीमत के सामान का आयात-निर्यात इसी रास्ते से होता है। साथ ही हूती विद्रोही समुद्र पर हमले के जरिये दुनिया पर दबाव डालने की कोशिश में हैं कि इजरायल को हमास के खिलाफ युद्ध खत्म करना चाहिए।
अमेरिका ने बनाया संगठन
हूती विद्रोहियों से निपटने के लिए अमेरिका ने 10 से अधिक देशों के साथ मिलकर एक नौसैनिक गठबंधन की घोषणा की है। इसका नाम ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन रखा है। इसमें बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, सेशेल्स, स्पेन,ब्रिटेन और अमेरिका की नौसेनाएं शामिल होंगी। वहीं अन्य कई देश भी इस संगठन में शामिल हो सकते हैं।
पिछले एक माह में हूती विद्रोहियों के हमले
19 नवंबर – लाल सागर में ब्रिटेन के कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर पर हमला करके अपने कब्जे में ले लिया। विद्रोहियों ने फिल्मी अंदाज में शिप पर हेलीकॉप्टर से उतरे और चालक दल को बंधक बनाया।
3 दिसंबर – यमन इलाके से विद्रोहियों ने बॉब अल मंदेब जलसंधि में दो इजरायली जहाज पर हमला किया।
12 दिसंबर – नॉर्वे के टैंकर स्ट्रिंडा पर एंटी शिप मिसाइल से हमला किया। टैंकर पर आग लगने से विस्फोट हुआ। हालांकि, किसी की जान नहीं गई।
13 दिसंबर – बॉब अल मंदेब जलसंधि में भारतीय मालवाहक जहाज को निशाना बनाकर दो मिसाइलें दागी गई। हमले में जहाज बच गया।
22 दिसंबर – अरब सागर में एक जहाज पर ड्रोन से हमला। जहाज सऊदी अरब के एक बंदरगाह से भारत के मंगलौर आ रहा था।
23 दिसंबर – लाल लागर में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन में बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। कोई भी जहाज मिसाइलों से प्रभावित होने की सूचना नहीं है।