Ancestral Property: दादा, पिता और भाई प्रोपर्टी में हिस्सा देने से कर दे मना तो इस तरीके से लें अपना हक

भारत में संयुक्त परिवार की संस्कृति है. यहां बड़े-बड़े परिवार कई पीढ़ियों से एक साथ ही रहते हैं. हालांकि, अब धीरे-धीरे वक्त बदल रहा है.

बड़े संयुक्त परिवार की जगह छोटी सिंगल फैमिली ही नजर आती है.ऐसे में प्रॉपर्टी को लेकर अक्सर विवाद होता ही है. संपत्ति को लेकर झगड़ा तकरीबन हर तीसरे परिवार में देखने को मिलता है.

किसी-किसी जगह यह बगैर कानून के हस्तक्षेप के हल हो जाता है तो कहीं बात कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाती है. संपत्ति पर कब्जे की मंशा बहुत से लोगों को इस कदर अंधा कर देती है कि वे बाप-बेटे के रिश्ते को भी खराब कर देती है.

वहीं बहुत से उत्तराधिकारी उनके कानूनी हिस्से से ही वंचित रह जाते हैं. अकसर ऐसा लड़कियों के साथ होता नजर आया है. कई लड़कियां आज भी अपने हक से वंचित रह जाती हैं. आज हम आपको बताएंगे यदि किसी को उनके दादा, पिता व भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं देते तो वह क्या कर सकता है.

पैतृक संपत्ति में कितना होता हक-

सबसे पहली बात यदि दादा, पिता एवं भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार हैं तो आपको भी पैतृक संपत्ति में हिस्सा अवश्य दिया जाना चाहिए. पैतृक संपत्ति में हिस्से का अधिकार जन्म के साथ ही मिल जाता है.

यदि पैतृक संपत्ति का बंटवारा होता है अथवा उस संपत्ति को बेचा जाता है तो बेटियों को भी उसमें बराबर अधिकार मिलता है. हिंदू कानून के मुताबिक संपत्तियां दो तरह की होती हैं-पैतृक संपत्ति और खुद कमाई हुई.

पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है, जो आपके लिए पूर्वज छोड़कर जाते हैं, चार पीढ़ियों तक. अगर आम भाषा में कहा जाए तो जो संपत्ति या जमीन आपके बुजुर्ग छोड़कर जाते हैं, उसे पैतृक संपत्ति कहा जाता है.

अगर न मिले हिस्सा तो क्या करें-

यदि दादा, पिता व भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से इन्कार कर दें तो आप अपने अधिकार के लिए कानूनी नोटिस (legal notice) भेज सकते हैं. आप संपत्ति पर अपना दावा पेश करते हुए सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं.

मामले के विचाराधीन होने के दौरान प्रापर्टी को बेचा न जाए यह सुनिश्चित करने के लिए आप उस मामले में कोर्ट से रोक लगाने की मांग कर सकते हैं. मामले में अगर आपकी सहमति के बिना ही संपत्ति बेच दी गई है तो आपको उस खरीदार को केस में पार्टी के तौर पर जोड़कर अपने हिस्से का दावा ठोकना होगा.

पैतृक संपत्ति में बेटियों का कितना होता है हक-

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 पैतृक संपत्ति में बेटों के साथ ही बेटियों को भी बराबर अधिकार दिया गया है. आपको जानकारी दे दें कि कानून में संशोधन से पूर्व केवल परिवार के पुरूषों को ही उत्तराधिकारी का दर्जा दिया जाता था.

बेटियों को भी उत्तराधिकारी का दर्जा दिए जाने के लिए आज से करीब 17 वर्ष पूर्व हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम -1956 के प्रावधान- 6 में संशोधन किया गया था.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *