लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस के वैक्यूम से बीजेपी को कैसे होगा फायदा?
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी का मानना है कि देश में फिर से मोदी लहर का प्रभाव है और एनडीए को 400 पार सीटें मिलेंगी. कांग्रेस के लिए किसी भी लिहाज से 2024 का चुनाव जीवन-मरण से कम नहीं है. 2014 और 2019 में दहाई के आंकड़ों पर सिमटी कांग्रेस 2024 में बीजेपी को हर हाल में सत्ता से बाहर करने पर आमादा है. कांग्रेस अपने मजबूत सिपहसलारों पर चुनावी दांव खेलकर सीटों की सेंचुरी लगाने चाहती है, लेकिन पार्टी के दिग्गज नेता रजामंद नहीं दिख रहे. दिग्गज कांग्रेसियों के चुनावी मैदान से अपने कदम पीछे खींचने से बने ‘वैक्यूम’ के चलते बीजेपी की सियासी राह आसान होती दिख रही है.
कांग्रेस अपने सियासी इतिहास में पहली बार चार सौ से कम सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है. इसकी वजह है कि उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक कांग्रेस ने क्षत्रपों से गठबंधन कर रखा है. कांग्रेस ने सपा से लेकर आरजेडी सहित क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर पीएम मोदी का रथ रोकने की रणनीति बनाई है, लेकिन उसके सामने असल चुनौती, उन सीटों पर है, जहां उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से है.
करीब 200 लोकसभा सीटों पर क्षेत्र दल नहीं
देश में करीब 200 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर क्षेत्रीय दल नहीं है और बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती है. 2014 और 2019 में कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह इन सीटों पर बीजेपी के हाथों उसका हारना था. इसीलिए कांग्रेस की रणनीति 2024 में अपने दिग्गज नेताओं के लोकसभा चुनाव में उतारने की है. कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में कई वरिष्ठ नेताओं को लोकसभा का टिकट दिया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर ताम्रध्वज साहू और केसी वेणुगोपाल जैसे नेता शामिल हैं.
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस को राजस्थान में अपने दिग्गज अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सीपी जोशी और गोविंद सिंह डोटासरा से काफी आस लगाए हुए थी. इसी तरह मध्य प्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी, गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा और अरुण यादव से कांग्रेस ने उम्मीदें लगा रखी थी. उत्तराखंड में हरीश रावत और प्रीतम सिंह तो यूपी में प्रदीप माथुर और सुप्रिया श्रीनेत जबकि हरियाणा में कुमारी शैलजा और किरण चौधरी जैसे दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाने की प्लानिंग की थी ताकि बीजेपी को मजबूती से घेरा जा सके.
कांग्रेस के कई नेता चुनाव लड़ने से कर चुके हैं इनकार
कांग्रेस के ये तमाम दिग्गज नेता सार्वजनिक मंच से चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अलग ही तर्क दिया है.उनका कहना है कि मेरे लोकसभा चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि मेरा राज्यसभा का कार्यकाल अभी बचा हुआ है. कांग्रेस आलाकमान राजगढ़ सीट से जिसे प्रत्याशी बनाएगी, उसे पूरी ताकत से समर्थन करेंगे. इसी तरह कुमारी शैलजा ने कहा कि उनका फोकस लोकसभा चुनाव के बजाय विधानसभा चुनाव पर है. इसके अलावा यूपी में रायबरेली और अमेठी सीट पर गांधी परिवार चुनाव लड़ेगा कि नहीं, इस पर सस्पेंस बना हुआ है.
अमेठी और रायबरेली को लेकर भी स्थिति साफ नहीं
कांग्रेस 2024 में अपने दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर बीजेपी की राह मुश्किल और अपनी सीटों की सेंचुरी करना चाहती थी. पूर्व सीएम अशोक गहलोत राजनीति के जादूगर माने जाते हैं, जो कभी भी सियासत की समीकरणों को बदलने की ताकत रखते हैं. ऐसे ही सचिन पायलट राजस्थान के युवाओं और गुर्जर समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय हैं. कमलनाथ से लेकर दिग्विजय सिंह तक की अपनी-अपनी सियासी ताकत और राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. इन नेताओं की सियासी प्रतिभाओं को हथियार बनाकर कांग्रेस 2024 के मैदान फतह करना चाहती थी, लेकिन अब कैसे हो पाएगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव मैदान में उतरेगी ही नहीं. गांधी परिवार के भी अमेठी और रायबरेली सीट पर चुनाव लड़ने की तस्वीर साफ नहीं है.
बीजेपी सियासी फिजा को अपने पक्ष में करने में जुटी है
वहीं, बीजेपी अपनी आधी से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर चुकी है और पीएम मोदी ताबड़तोड़ रैलियां करके सियासी फिजा को अपने पक्ष में करने में जुट गए हैं. बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी की रैलियां और चुनावी कैंपेन को लेकर पूरा विश्वास है कि मोदी के कैंपेन से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने में बड़ी मदद मिलेगी. इसके अलावा लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी बूथ स्तर पर अपनी मजबूत रणनीति के तहत काम कर रखे हुए है.
बता दें कि देश भर में 200 सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है. इनमें 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 49 फीसदी से ज्यादा था और कांग्रेस का वोट शेयर 31 फीसदी मिला था. इन सीटों पर दूसरे दलों को करीब 18.5 फीसदी वोट मिला थे. इन 200 सीटों में से बीजेपी ने 171 सीटें जीती थीं और 20 कांग्रेस को मिली थी. 2019 में बीजेपी ने इनमें से 185 सीटें जीतीं और वोट शेयर बढ़कर 55 फीसदी पर पहुंच गया था.