HRA क्लेम करते समय गलती से भी न करें ये काम, इनकम टैक्स रखता है कड़ी नजर

टैक्‍स बचत के लिए लोग न जाने कितनी तिकड़में करते हैं। कई तो किराये तक में गफलत करते हैं। किराये के मकान पर न रहने के बावजूद वे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्‍लेम करने के लिए फर्जी प्रूफ दे देते हैं।

अब इस पर सरकार की नजर टेढ़ी हो गई है। इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने किरायेदार न होने के बावजूद एचआरए का गलत दावा करने के लिए पैन के फर्जी इस्‍तेमाल से जुड़ा खेल पकड़ा है।

शुरुआत निष्कर्षों के आधार पर लगभग 8,000-10,000 महत्वपूर्ण मामलों की पहचान की गई है। इनमें कई मामलों में 10 लाख रुपये से अधिक की रकम शामिल है। जांच तब शुरू हुई जब अधिकारियों को एक व्यक्ति के पैन के तहत लगभग 1 करोड़ रुपये की किराया रसीदें मिलीं।

हालांकि, पूछताछ करने पर उसने इन लेनदेन के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया। बाद की जांच से पता चला कि उस व्यक्ति को वाकई किराया नहीं मिला था।

इस खुलासे के बाद इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने जांच का दायरा बढ़ाया। इससे उन्‍हें पता चला कि कुछ लोगों ने अपनी कंपनियों से टैक्‍स डिडक्‍शन हासिल करने के मकसद से पैन का दुरुपयोग किया।

ऐसे दुरुपयोग की सीमा चिंताजनक हो गई है। इस तरह के उदाहरण सामने आ रहे हैं जहां कर्मचारियों ने टैक्‍स बेनिफिट के लिए आइडेंटिक पैन का इस्‍तेमाल किया है।

टैक्‍स अधिकार‍ियों के रडार पर ऐसे कर्मचारी-

टैक्‍स अधिकारियों ने कहा है कि विभाग सक्रिय रूप से उन कर्मचारियों का पीछा कर रहा है जिन्होंने टैक्‍स बचाने के मकसद से फर्जी क्‍लेम फाइल किए हैं। हालांकि, यह तय नहीं कि क्या उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी?

TOI की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला पैन के दुरुपयोग का एक और उदाहरण उजागर करता है। स्थिति में जटिलता टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) की वर्तमान सीमा से बढ़ गई है.

जो केवल 50,000 रुपये से अधिक के मासिक किराये या 6 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक भुगतान पर लागू होती है। नतीजतन, कई कर्मचारियों ने रेंटल इनकम पर टैक्‍स से बचने के लिए इस खामी का फायदा उठाया है।

अब आसान है पकड़ना-

एक्‍सपर्ट कहते हैं कि ज्‍यादातर वित्तीय लेनदेन पैन से जुड़ गए हैं। ऑटोमेटेड प्रोसेस की नई तकनीक और डेटा एनालिटिक्स के साथ टैक्‍स अधिकारियों के लिए फर्जी क्‍लेम को ट्रैक करना बहुत मुश्किल नहीं है।

इससे न केवल बाद में टैक्‍स भुगतान, बल्कि जुर्माने और मुकदमेबाजी का भी सामना करना पड़ सकता है। जहां किराये का भुगतान माता-पिता को किया जाता है।

वहां लेनदेन की वास्तविकता को दिखाने के लिए किराये का पेमेंट चेक या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के जरिये किया जाना चाहिए। अपने रिटर्न में पैरेंट्स को भी रेंटल इनकम की जानकारी देनी चाहिए।

क्‍या होता है HRA?

एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस सैलरी का एक हिस्सा होता है जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों को घर का किराया चुकाने में मदद करने के लिए देता है। यह भत्ता टैक्सेबल होता है, लेकिन कुछ शर्तों के तहत कर्मचारी इस पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।

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