धान-गेहूं छोड़कर किसान ने शुरु की इस सब्जी की खेती, अब कमा रहा लाखों रुपये
लौकी एक ऐसी सब्जी है जो साल भर मिलती है. यही कारण है कि इसकी खेती भी किसान सालोंभर बड़े पैमाने पर करते हैं. लौकी की खेती में किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा भी होता है.
किसानों की माने तो पारंपरिक फसलों की खेती की तुलना में सब्जी की खेती में कम लागत में ज्यादा मुनाफा होता है. यह नकदी फसल है, एक बार फलन शुरू होने के बाद कमाई होने लगती है. यही कारण है कि वैशाली जिले के लालगंज प्रखंड में भी बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती होती है.
किसान मनोज कुशवाहा बताते हैं कि उन्होंने दो एकड़ में देहाती गोल लौकी की खेती की है. इसपर मात्र 30 हजार रुपए का खर्च आया. जबतक फलन होता है, हर दिन 5000 रुपए की कमाई हो जाती है.
किसान के अनुसार वे पहले धान, गेहूं और आलू की खेती करते थे. लेकिन इन फसलों की खेती में मुनाफा कम हो रहा था और खेती का लागत खर्च अधिक था.
जिसके बाद उनकी मुलाकात अपने दोस्त संजीव से हुई तो उन्होंने सब्जी की खेती करने की सलाह दी. उनकी सलाह पर तीन वर्षों से लौकी की खेती कर रहे हैं. इसमें कम खर्च और कम मेहनत में मुनाफा ज्यादा हो जाता है.
बीज रोपण के 50-55 दिन बाद शुरू हो जाता है फलन
मनोज ने बताया कि वे पहले आलू और गेहूं की खेती किया करते थे. लेकिन मेहनत और खर्च की तुलना में मुनाफा कम होता था.इसी बीच एक दोस्त की सलाह पर 5 कट्ठा खेत से लौकी की खेती की शुरुआत की. इसमें अच्छा मुनाफा हुआ.
इसके बाद तीन वर्ष से 2 एकड़ खेत में लौकी की खेती करते हैं. वे बताते हैं कि फलन शुरू होने के बाद प्रतिदिन 700 पीस गोलाकार लौकी निकलता है.
इसे वे स्थानीय सब्जी मंडी में 7 रुपए पीस के हिसाब से बेच लेते हैं. मनोज कहते हैं कि लौकी के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. बीज के अंकुरित होने तक नमी बनाए रखना होता है. बीज रोपने के 5 दिन बाद अंकुरित होने लगता है. 50 से 55 दिनों के बाद फलन शुरू हो जाता है.