5-7 द‍िन नहीं इतने महीने तक कोरोना से लड़ी जंग, वैक्‍सीन भी रही बेअसर

Covid Case : अगर आपसे पूछा जाए कि आज किसी शख्स में कोरोना वायरस कितने दिनों तक रह सकता है? तो शायद आपको जवाब हो कि 5 दिन या 7 दिन। नीदरलैंड्स के एक शख्स को कोरोना 613 दिन ( करीब 20 महीने) रहा।

डॉक्टर की काफी कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। अब पता चला है कि आखिर कोरोना उसके शरीर में इतने दिनों तक क्यों रहा। उस शख्स नाम सामने नहीं आया है, लेकिन उसकी उम्र 72 साल थी। इस शख्स पर रिसर्च की गई है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। इस रिसर्च के बारे में कई जानकारियां सामने आई हैं।

फरवरी 2022 में कराया गया था भर्ती

72 साल का वह शख्स फरवरी 2022 में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का शिकार हुआ था। ऐसे में उसे नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम यूनिविर्सटी मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया था। इससे पहले उस शख्स को ब्लड कैंसर हुआ था। साथ ही उसे हेपेटाइटिस B की भी बीमारी थी, जिसका उसने इलाज कराया था।

 

 

 

इम्यून सिस्टम हुआ कमजोर

कोरोना वायरस होने के दौरान उसे कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साथ ही उसे कई वैक्सीन भी लग चुकी थीं। फरवरी 2022 में जब उसे अस्पताल में भर्ती के लिए लाया गया तो उसका ऐंटिबॉडी टेस्ट किया गया। इसमें उसकी ऐंटिबॉडी का रिस्पॉन्स काफी कम आया। जब ऐंटिबॉडी ट्रीटमेंट किया गया तो उसका कोई रिस्पॉन्स डॉक्टरों को नहीं मिला। यह इस कारण था कि कैंसर के इलाज के दौरान उसके शरीर में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या उतनी नहीं थी कि वे कोराना वायरस से लड़ सकें। रिसर्च करने वालों ने देखा कि ऐंटिबॉडी लेने के 21 दिनों बाद कोरोना वायरस का म्यूटेशन हुआ यानी वायरस ने अपना रूप बदला और एक रेजिस्टेंट बना लिया। ऐंटिबॉडी ने पहले महीने में कोई खास असर नहीं दिखाया। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उस शख्स का इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था और वह वायरस से लड़ने और उसे मारने में सक्षम नहीं था।

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वायरस लगातार बदलता रहा रूप

एक्सपर्ट्स के मुताबिक इलाज के दौरान उस शख्स में कभी सुधार देखने को मिलता तो कभी वायरल लोड काफी बढ़ जाता। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वायरस लगातार अपना रूप बदलता रहा जिससे उसपर दवाइयों और वैक्सीन का कोई खास असर नहीं हुआ। यह वायरस उस शख्स के ब्लड में मिल गया था। 613 दिन बाद उस शख्स की मौत हो गई। रिसर्चर्स के मुताबिक उस शख्स में पूरे 613 दिन वायरल लोड रहा। हालांकि इलाज के दौरान उसके शरीर में मौजूद कोरोना का म्यूटेट वेरिएंट किसी दूसरे शख्स में नहीं पहुंचा। पिछले साल अक्टूबर में उस शख्स को मौत हो गई थी।

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