एक्टिविस्ट मेधा पाटकर को बड़ा झटका, 23 साल पुराने मानहानि मामले में दोषी करार, LG वीके सक्सेना ने दायर किया था केस

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने साल 2001 में एक्टिविस्ट मेधा पाटकर के खिलाफ अपराधिक मानहानि का केस दायर किया था. वीके सक्सेना उस वक्त एक एनजीओ ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष थे. उनका आरोप था कि मेधा पाटकर ने एक प्रेस नोट जारी करके बयान दिया था कि सक्सेना देशभक्त न होकर एक कायर हैं. इस मामले में साकेत कोर्ट ने मेधा को दोषी ठहराया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सक्सेना को कायर बताते हुए, उन पर हवाला के लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाना न केवल उनकी मानहानि करने वाला है, बल्कि लोगों के बीच उनको लेकर बुरी राय बनाने की कोशिश भी है. शिकायत दर्ज होने के करीब 23 साल बाद अदालत ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दोषी ठहराया है. इसके लिए अधिकतम दो साल तक कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि प्रतिष्ठा सबसे मूल्यवान संपत्तियों में से एक है. यह व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों संबंधों को प्रभावित करती है. समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है. यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहा है, उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है.
सजा पर 30 मई को दलीलेंसुनी जाएंगी
अदालत ने कहा कि मेधा पाटकर कोई ऐसा सबूत पेश नहीं कर सकी हैं जिससे ये साबित हो कि वो अपने बयानों से सक्सेना को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती थीं. आरोपी ने आईपीसी की धारा 500 (मानहानि) के तहत अपराध किया है. उसे इसके लिए दोषी ठहराया जाता है. सजा पर दलीलें 30 मई को सुनी जाएंगी.
सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ दो मामले दायर किए थे
मेधा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच साल 2000 से ही कानूनी लड़ाई जारी है. जब पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन के लिए सक्सेना के खिलाफ केस दायर किया था. सक्सेना ने भी एक टीवी चैनल पर उनके (सक्सेना) खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानिकारक बयान देने के मामले को लेकर पाटकर के खिलाफ दो मामले दायर किए थे.

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