क्या है फॉलिकल्स स्टडी टेस्ट, ओवरी में कितना होना चाहिए फॉलिकल का साइज, एक्सपर्ट्स से जानें
Follicles in ovary :बीते कुछ सालों से भारत में बांझपन एक बड़ी समस्या बन गई है. जब कोई महिला 12 महीने से अधिक समय तक कोशिश के बाद भी बच्चा कंसीव नहीं कर पाती है तो उसको इनफर्टिलिटी का शिकार माना जाता है. महिला अगर कंसीव नहीं कर पा रही है तो इसके कारणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है. समस्या की पहचान के लिए डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. इनमें महिलाओं को फॉलिकल टेस्ट कराने को भी कहा जाता है. आइए आपको बताते हैं कि फॉलिकल टेस्ट क्या होता है. इसकी कीमत क्या है और कब इसको कराना चाहिए.
दिल्ली में सफदरजंग हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सलोनी चड्ढा बताती हैं किफॉलिकल टेस्ट से ओवरी के अंदर मौजूद फॉलिकल्स के साइज की जानकारी मिलती है. फॉलिकल ओवरी में मौजूद एक छोटी थैली होती है. जिसमें अंडा बनता है. अगर कोई महिला बच्चा कंसीव करना चाहती है तो फॉलिकल का साइज बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है.
क्या होता है फॉलिकल स्टडी टेस्ट
डॉ. सलोनी चड्ढा बताती हैं कि फॉलिकल स्टडी टेस्ट एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड ही होता है. इसमें मशीन के जरिए महिला की ओवरी में मौजूद फॉलिकल का साइज क्या है और ये कितना ग्रो हो रहा है इसकी जानकारी के लिए फॉलिकल स्टडी टेस्ट कराया जाता है. इसमें महिला के फॉलिकल साइज की कई बार जांच की जाती है. इसकी शुरुआत पीरियड्स साइकिल शुरू होने के बाद की जाती है.
महिला के पीरियड्स की शुरुआत में फॉलिकल विकसित होते हैं. धीरे-धीरे इनका साइज बढ़ता रहता है और जब फॉलिकल की थैली फट जाती है तो ये अंडा रिलीज करती है. यही अंडा आगे कंसीव के लिए तैयार होता है. ऐसा आमतौर पर पीरियड्स शुरू होने के 14 दिन बाद होता है. फॉलिकल स्टडी टेस्ट में जिस दिन फॉलिकल थैली के रप्टर यानी फटकर अंडा रिलीज का पता चलता है उस दिन फॉलिकल स्टडी टेस्ट पूरा हो जाता है. जब फॉलिकल का साइज जब 18 से 25 मिलीलीटर के आसपास होता है, तो उसके फर्टिलाइजेशन के लिए अच्छा माना जाता है.
फॉलिकल टेस्ट जरूरी
हेल्थ एक्सपर्ट डॉ समीर भाटी के मुताबिक, जो महिलाएं बच्चा कंसीव नहीं कर पा रही हैं उनको फॉलिकल टेस्ट जरूर कराना चाहिए. इस टेस्ट से पता चलता है कि फॉलिकल से अंडे बन रहे हैं या नहीं और अगर बन रहे हैं तो इनका साइज कितना है. अगर अंडे नहीं बनेंगे और इनका साइज व गुणवत्ता अच्छी नहीं होगी तो महिला बच्चा कंसीव नहीं कर पाएगी. ऐसे में ये टेस्ट करा लें. इसकी कीमत 1500 रुपये से 2 हजार रुपये तक है. सरकारी अस्पतालों में निशुल्क है.
डॉ भाटी के मुताबिक, फॉलिकल स्टडी टेस्ट से यह जानकारी मिल जाती है कि अंडा कम रिलीज हो रहा है और किस समय कपल संबंध बना सकते हैं. जिससे भविष्य में कंसीव होने की संभावना बढ़ जाती है.
क्यों बढ़ रही बांझपन की समस्या
डॉ समीर भाटी बताते हैं कि महिलाओं में बांझपन के कई कारण हैं. इनमें हार्मोन का सही काम न करना, पीसीओडी, पीसीओएस की बीमारी बड़े फैक्टर हैं. इनके अलावा महिलाओं में बढ़ता मोटापा भी बांझपन का एक कारण है. डॉ भाटी के मुताबिक, अगर आप प्रेगनेंसी के बारे में सोच रही हैं और इनमें से कोई बीमारी है तो पहले उसका इलाज करा लें.
इसके साथ यह भी जरूरी है कि बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करें. इसके लिए डॉक्टर से सलाह लें.