डायबिटीज का दुनिया में पहली बार सेल थेरेपी से इलाज, चीन के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया कमाल

दुनिया में पहली बार सेल थेरेपी से किसी मरीज का डायबिटीज ठीक हो गया है. डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के के लिए उम्मीद की किरण चीनी वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का एक समूह लेकर आया है. शंघाई चांगझेंग हॉस्पिटल, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के तहत सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन मॉलिक्यूलर सेल साइंस और शंघाई स्थित रेनजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की एक टीम की ने ये सफलता हासिल की है.
जर्नल सेल डिस्कवरी में ये रिसर्च 30 अप्रैल को पब्लिश हुई थी. मरीज की उम्र 59 वर्ष है. जो 25 सालों से टाइप 2 डायबिटीज के साथ जी रहा था. डायबिटीज तो वैसे कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से टाइप 2 सबसे आम है. लगभग 90 प्रतिशत मरीजों को प्रभावित करता है. यह काफी हद तक आहार से संबंधित है और समय के साथ विकसित होता है.
इंसुलिन इंजेक्शन से मिला छुटकारा
2017 में मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था, लेकिन उनके अधिकांश पैनक्रियाटिक आईलेट ने काम करना बंद कर दिया था. पैनक्रियाज का काम ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने का होता है. इस वजह से मरीज को हर दिन कई इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर होना पड़ा था.
मरीज को जुलाई 2021 में इनोवेटिव सेल ट्रांसप्लांट किया गया. ट्रांसप्लांट के ग्यारह हफ्ते बाद, उन्हें बाहरी इंसुलिन की जरूरत नहीं पड़ी. ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने के लिए मौखिक दवा की खुराक धीरे-धीरे कम कर दी गई और एक साल बाद पूरी तरह से बंद कर दी गई. ट्रांसप्लांट के बाद मरीज से फॉलो अप लिया गया. पता चला कि मरीज का पैंक्रियाटिक आइलेट फ़ंक्शन प्रभावी ढंग से बहाल हो गया था. मरीज को अब 33 महीनों के लिए इंसुलिन से पूरी तरह छुटकारा मिल गया है.
कैंसर के इलाज में एक कदम करीब
रिसर्चर्स की टीम का कहना है कि इस अध्ययन से डायबिटिज के लिए सेल थेरेपी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति होगी. डायबिटीज एक क्रोनिक कंडीशन है जो हमारे शरीर की ओर से भोजन को उर्जा में बदलने के तरीके पर असर डालता है. हम जो खाते हैं वह ग्लूकोज में टूट जाती है और ब्लडस्ट्रीम में में जाती है.
ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है जो पैंक्रियाज का काम है. जब किसी को भी डायबिटीज होती है तो ये प्रणाली हाइजैक हो जाती है. या तो शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या जो भी इंसुलिन बनता है उसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. दुनिया भर के वैज्ञानिक मुख्य रूप से मानव स्टेम सेल से आइलेट जैसी कोशिकाएं बनाकर एक विकल्प के रूप में आइलेट प्रत्यारोपण पर शोध कर रहे हैं. अब दशकों बाद, चीनी वैज्ञानिकों का समूह एक कदम और करीब आ गया है.

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