प्रवासी श्रमिकों को मदद, IT-MEA ने MoU पर किए हस्ताक्षर, मिलेंगी ये सुविधाएं

केंद्र ने बुधवार को जमीनी स्तर पर ब्लू-कॉलर श्रमिकों की सहायता के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से ई-माइग्रेट सेवाएं प्रदान करने की घोषणा की. आईटी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्रालय (एमईए), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और सीएससी ई-गवर्नेंस सेवाओं के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
एमओयू के हिस्से के रूप मेंविदेश मंत्रालय के ई-माइग्रेट पोर्टल को सीएससी के पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा, ताकि सीएससी के माध्यम से नागरिकों को कई सेवाएं प्रदान की जा सकें.
प्रदान की जा रही सेवाओं में सीएससी के माध्यम से ई-माइग्रेट पोर्टल पर आवेदकों का पंजीकरण; ई-माइग्रेट पोर्टल पर आवेदकों के लिए आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करना और संसाधित करना; सीएससी के माध्यम से ई-माइग्रेट पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों या आवेदकों द्वारा आवश्यक चिकित्सा और अन्य सेवाओं के लिए बुकिंग का समर्थन करना; और देश भर के नागरिकों के बीच ई-माइग्रेट सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है.
प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं पर नजर
मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में रोजगार के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों की संख्या में वृद्धि हुई है. साथ ही उनके द्वारा भेजे गए धन का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है.
प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए ई-माइग्रेट परियोजना शुरू की गई थी, ताकि प्रवास प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया जा सके और सुरक्षित और कानूनी प्रवास के लिए विदेशी नियोक्ताओं और पंजीकृत भर्ती एजेंटों और बीमा कंपनियों को एक साझा मंच पर लाया जा सके.
प्रवासी श्रमिकों की मिलेगी ये सुविधाएं
वर्तमान में, 5.50 लाख से अधिक सीएससी नागरिकों को सहायता प्राप्त मोड में 700 से अधिक डिजिटल सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक आसानी और सुविधा मिल रही है.
आईटी मंत्रालय ने कहा कि जमीनी स्तर पर सुरक्षित एवं कानूनी प्रवास के चैनलों का विस्तार करने के उद्देश्य से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इसका विशेष उद्देश्य विदेशों में रोजगार की तलाश में भारतीय नागरिकों गए हैं. उन्हें बेईमान तत्वों द्वारा शोषण को रोकना है.

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