क्या ब्रांडेड दवाओंं की तरह ही फायदा करती हैं जेनेरिक दवाएं, क्यों इनको नहीं लिखते डॉक्टर?

पिछले साल अगस्त महीने की बात है नेशनल मेडिकल कमीशन ने एक नियम लागू किया था. इसमें कहा गया था कि डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं भी लिखनी होगी. नियम न मानने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. एनएमसी के इस फैसले के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस नियम पर सवाल खड़े किए थे. कई डॉक्टर एसोसिएशन ने भी नए कानून का विरोध कर इसको वापिस लेने की मांग की थी. तर्क यह दिया गया था कि ब्रांडेड दवा न लिखने से मरीजों को नुकसान हो सकता है. विरोध के बाद एनएमसी से अपना फैसला वापिस ले लिया था. खैर, हम यहां हम आपको ये बताएंगे कि जेनेरिक दवाएं डॉक्टर क्यों नहीं लिखते हैं और क्या ये दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तरह की फायदा करती हैं.
ब्रांडेड दवा और जेनेरिक दवा में कई मामलों में एक ही सॉल्ट होता है. दवा जिस केमिकल से बनती है उसको सॉल्ट कहा जाता है. इनको फिर गोली या कैप्सूल के रूप में तैयार किया जाता है. तैयार हुई दवा को बाजार में अलग- अलग कंपनी यानी ब्रांड के नाम से बेचा जाता है. जब किसी दवा के साथ ब्रांड का नाम जुड़ जाता है तो वह ब्रांडेड दवा बन जाती है. जिन दवाओं को बिना ब्रांड या किसी हल्के ब्रांड के साथ बेचा जाता है वह जेनेरिक होती है. इनके सॉल्ट यानी इन दवाओं में मौजूद चीजें ब्रांडेड दवाओं की तरह ही होती हैं. अमेरिका के एफडीए के अनुसार, जेनेरिक दवाओं की कीमत ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं की तुलना में 80-85% कम हो सकती है. लेकिन लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती है.
कैसे करें पहचान
अगर आपको डॉक्टर ने कोई ब्रांडेड दवा लिखी है तो आप उसके सॉल्ट चेक कर लें. उदाहरण के लिए क्रोसिन और डोलो दोनों ब्रांडेड दवा हैं और इनका सॉल्ट पैरासिटामोल है. यानी अगर आपको बुखार की समस्या है तो आप पैरासिटामोल के सॉल्ट वाली कोई भी दवा खा सकते है. जरूरी नहीं है कि वह किसी ब्रांड की ही हो.
अगर पैरासिटामोल कंपोजिशन आपको जेनेरिक दवाओं में भी मिल रहा है तो उसे खरीद सकते हैं. दवा बनाने वाली कंपनी के नाम के साथ में ही सॉल्ट भी लिखा होता है. दवा के पैकेट पर सॉल्ट के नाम को प्रमुखता से छापा जाता है. इसको पढ़कर अब उसी सॉल्ट की जेनेरिक दवा ला सकते हैं.
ब्रांडेड दवा क्यों हैं महंगी?
अगर पैरासिटामोल सॉल्ट को कोई दवा कंपनी बाजार में इसी नाम से बाजार में बेचती है तो ये जेनेरिक दवा कहलाएगी, लेकिन कोई ब्रांडेड दवा कंपनी इस सॉल्ट को अपने ब्रांड के नाम के साथ बाजार मेंबेचती है तो ये ब्रांडेड दवा है,. भले ही उसमें सॉल्ट एक ही है, लेकिन ब्रांड जुड़ने के बाद कीमत बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दवा कंपनी अपने ब्रांड के लिए प्रमोशन और विज्ञापन करती है. जिसमें काफी पैसा खर्च होता है. इस लागत की वजह से ब्रांडेड दवा महंगी होती हैं.
क्या ब्रांडेड दवा की तरह ही फायदेमंद है जेनेरिक दवाएं
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल के एक डॉक्टर बताते हैं कि अधिकतर मरीजों को डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं. तर्क या दिया जाता है कि ब्रांडेड दवा ज्यादा फायदा करती है. कुछ डॉक्टरों का मानना ​​है कि जेनेरिक दवाएं मरीजों के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्रभावी नहीं हैं. लेकिन इस मामले में अभी रिसर्च की जरूरत है. डॉक्टर ब्रांडेड दवा इसलिए भी लिखते हैं क्योंकि उनका फार्मा कंपनी के साथ करार बना रहता है.

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