Heat wave death : कैसे पता चलता है कोई हीट वेव से मर गया है? एक्सपर्ट्स से जानें

Heat wave death causes : देश के कई राज्यों में इस समय भीषण गर्मी और हीट वेव ( लू) का प्रकोप देखा जा रहा है. लू की वजह से काफी परेशानी हो रही है. हीट वेव का शिकार हो रहे लोगों की अस्पतालों में भी संख्या बढ़ रही है. हीट वेव से कुछ राज्यों में लोगों की मौत भी हुई है. भीषण गर्मी के कारण लोग दम तोड़ रहे हैं और ये आंकड़ा बढ़ रहा है. गर्मी के प्रकोप को देखते हुए लोगों को अलर्ट रहने की सलाह भी दी गई है.
इस बीच एक बड़ा सवाल यह है कि हीट वेव यानी लू क्यों इतनी खतरनाक कैसे बन रही है और ये कैसे पता चलता है कि मौत हीट वेव से ही हुई है? राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का कहना है कि हीट वेव के कारण मौत भी हो सकती है. ऐसा शरीर में पानी की कमी और बॉडी का तापमान बढ़ने की वजह से होता है. हीट वेव से पीड़ित होने पर अगर समय पर लक्षणों की पहचान और इलाज न मिले तो यह जानलेवा साबित होता है. जो लोग बाहर धूप में रहते हैं उनको लू लगने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है.
कैसे पता चलता है कि हीट वेव से हुई है मौत?
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान कुमार ने इस बारे में बताया है. डॉ. अंशुमान कहते हैं कि अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति है. वह काफी देर से धूप में है और इस दौरान उसके शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनाइट से अधिक हो गया है तो यह हीट वेव की श्रेणी में आता है. अगर तेज बुखार के साथ व्यक्ति बेहोश होकर गिर गया हैऔर इस दौरान उसकी मौत हो गई है, तो यह मौत हीटवेव से मानी जाती है. लेकिन फिर भी किसी भी मौत की सही पुष्टि के लिए ऑटोप्सी करना जरूरी होता है. क्योंकि बेहोश होकर गिरने के कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं.
हीट वेव कैसे बनती है जानलेवा
डॉ अंशुमान बताते हैं कि लू लगने से शरीर में एक साथ कई तरह की परेशानियां हो सकती है. जब गर्मी बहुत ज्यादा होती है तो पसीना भी जरूरत से ज्यादा बहने लगता है. इससे बॉडी में सोडियम की कमी होने लगती है. इस स्थिति में शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है. डिहाइड्रेशन के कारण कमजोरी आने लगती है और थकान हो जाती है. ब्रेन का सिग्नल सिस्टम खराब होने लगता है. इससे अचानक बेहोशी आ जाती है. कुछ मामलों में अचानक ब्रेन डैमेज हो सकता है. जो मौत का कारण बन सकता है.
अधिकतर मामलों में लू उन लोगों को लगती है जो तेज गर्मी में बाहर रहते हैं या जिनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है. श्रमिकों, फील्ड वर्क करने वाले लोगों और बच्चे व बुजुर्गों में हीट वेव से मौत का खतरा अधिक रहता है.
इस अंतर को भी समझें
हीट वेव से व्यक्ति की हालत गंभीर होने में कुछ मिनटों का ही समय लगता है. हालांकि ऐसा हो सकता है कि किसी को दिल का दौरा किसी दूसरे कारण से पड़ा हो, लेकिन हीट वेव से जो हार्ट अटैक आता है उसमें हार्ट की नसों में खून के थक्के नहीं मिलते हैं. यह पहचान है कि मौत सामान्य हार्ट अटैक से हुई है या फिर हीट स्ट्रोक के कारण पड़े दिल के दौरे से हुई है.
डॉ अंशुमान के मुताबिक, ऐसा जरूरी नहीं है कि गर्मी में हुई हर मौत हीट वेव से हुई है. कई मामलों में ब्रेन स्ट्रोक, किसी दूसरी समस्या के कारण आया हार्ट अटैक और किसी पुरानी बीमारी के बिगड़ने से भी मौत हो जाती है.
भारत में हीट वेव कब घोषित की जाती है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अगर मैदानी इलाकों में तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है तो इसे हीटवेव माना जाता है.
कैसे करें बचाव
दोपहर 12 से 4 के बीच बाहर जाने से बचें
बाहर जाना जरूरी है कि सिर को कवर रखें
बहुत देर तक धूप में बिलकुल न रहें
हर थोड़ी देर में पानी पीते रहें
बाहर का फास्ट फूड न खाएं
नारियल पानी और गन्ने का जूस भी पीएं

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *