दिमाग की वो बीमारी जो बन जाती है महिलाओं में बांझपन का कारण, ये हैं लक्षण

बीते कुछ सालों से भारत में बांझपन की समस्या काफी बढ़ रही है. बांझपन का दायरा इतना बढ़ रहा है कि आईवीएफ अस्पतालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. शहरी इलाकों में तो हालात ज्यादा खराब हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में बांझपन के मामले पिछले 10 सालों में तेजी से बढ़े हैं. इसके कई कारण है. खराब खानपान, बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल और हार्मोन में हुए बदलाव के कारण प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिमाग में मौजूद एक ग्लैंड भी महिलाओं में बांझपन का एक कारण बन सकता है. इस ग्लैंड में बनने वाला हार्मोन अगर शरीर में जरूर से ज्यादा बनने लगे तो इससे महिला को बच्चा कंसीव करने में परेशानी हो सकती है.
डॉक्टर बताते हैं कि दिमाग में पिट्यूटरी ग्लैंड होता है. यह प्रोलैक्टिन हार्मोन बनाता है. यह हार्मोन महिला और पुरुष दोनों में बनता है. लेकिन महिलाओं में इसका अधिक बनना बांझपन के खतरे को बढ़ाता है. कई मामलों में प्रोलैक्टिन का बढ़ा रहना ही इनफर्टिलिटी का कारण बनता है. आइए इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.
क्या होता है प्रोलैक्टिन हार्मोन
दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजी विभाग में डॉ. सलोनी चड्ढा बताती हैं कि दिमाग़ में पिट्यूटरी ग्लैंड होता है. इसका एक काम प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनाना होता है. कई कारणों से महिलाओं में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है. अगर प्रोलैक्टिन 30 से ज़्यादा हो तो इसको सही नहीं माना जाता है. इससे महिला को बच्चा कंसीव करने में परेशानी हो सकती है और ये इंफर्टिलिटी का का कारण बन सकता है. अगर किसी महिला में प्रोलैक्टिन का लेवल बढ़ता है और कंट्रोल नहीं होता है तो इसको हाइपरप्रोलैक्टिनीया कहते हैं. हालांकि बच्चे के जन्म और प्रेगनेंसी के दौरान इस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. ऐसे में इसके बढ़ने का कोई रिस्क नहीं होता है.
डॉ. सलोनी बताती हैं कि प्रेगनेंसी के बाद प्रोलैक्टिन बढ़ना सामान्य है, लेकिन अगर ये गर्भावस्था से पहले बढ़ा हुआ है तो ये बांझपन का कारण बनता है. जिन महिलाओं को बच्चा कंसीव नहीं हो पाता है उनके शरीर में प्रोलैक्टिन की जांच भी की जाती है. अगर ये बढ़ा हुआ मिलता है तो इसके लिए डॉक्टर दवाएं देते हैं.
कैसे दिखते हैं लक्षण
डॉ. सलोनी बताती हैं कि हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया से पीड़ित महिलाओं में पीरियड्स समय पर न आना जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रोलैक्टीन के बढ़ने से शरीर में ओवुलेशन की प्रक्रिया में बदलाव आता है. इससे महिलाओं के पीरियड्स समय पर नहीं आते हैं. अगर किसी महिला को ये परेशानी है और बच्चा भी कंसीव नहीं हो पा रहा है तो प्रोलैक्टिन की जांच जरूर करानी चाहिए.

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