क्या फिर हर कलाई पर दिखेगी hmt की घड़ियां? सरकार कर रही ये प्लानिंग
भारत में जब तक क्वार्ट्ज घड़ियां पॉपुलर नहीं हुई थी तब तक चाबी वाली घड़ियां ही हर आम आदमी की कलाई पर टिक-टिक करती दिखाईं देती थीं. इन घड़ियों को बनाने का काम सरकारी कंपनी ‘हिंदुस्तान मशीन टूल्स’ (hmt) करती थी. घड़ियों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम इसी कंपनी ने किया. अब इस कंपनी को लेकर सरकार बड़ी प्लानिंग कर रही है.
एचएमटी, हेवी इंडस्ट्री एंड स्टील मंत्रालय के तहत आने वाली सरकारी कंपनी है. चुनाव बाद में देश में बनी राजग सरकार में इस मंत्रालय का प्रभार जनता दल सेक्युलर के नेता एच. डी. कुमारास्वामी को मिला है. हाल में उन्होंने एचएमटी के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की है.
एचएमटी के रिवाइवल की प्लानिंग
केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक करके उन्हें हिंदुस्तान मशीन टूल्स (एचएमटी) को पटरी पर लाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश कोहली को कंपनी के रिवाइवल का प्रपोजल बनाने को कहा है. साथ ही पूछा है कि वे बताएं कि इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से क्या मदद चाहिए.
मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि एच. डी. कुमारास्वामी ने अधिकारियों से एचएमटी के बिजनेस, नेट प्रॉफिट के साथ-साथ कंपनी की माली हालत, प्रोडक्शन और ऑपरेशन की परिस्थितियों को लेकर चर्चा की है. साथ ही इस पर और डिटेल मांगी है.
आत्मनिर्भर बनाने पर करें काम
एच. डी. कुमारास्वामी ने अधिकारियों से कहा है कि वह एचएमटी के रिवाइवल पर काम करें. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप ही है. अधिकारियों को इससे प्रेरणा लेकर काम करना चाहिए. एचएमटी के रिवाइवल को लेकर सरकार की इस पहल से एक बार फिर एचएमटी की घड़ियों की वापसी की उम्मीद जगती दिख रही है. हालांकि इसे लेकर अभी कोई पुख्ता योजना नहीं है.
एचएमटी मौजूदा वक्त में डिफेंस विभाग और अंतरिक्ष विभाग के लिए कई अहम टूल्स और मशीन का निर्माण करती है. कंपनी के पास देशभर में अलग-अलग जगह मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट भी हैं. लेकिन कंपनी कई चुनौतियों से भी जूझ रही है. इसमें वित्तीय संकट, कानूनी विवादइ और घाटा शामिल है.