Alka Yagnik : क्या अलका याग्निक अब कभी नहीं सुन पाएंगी? डॉक्टरों ने दिया ये जवाब
आम तौर पर किसी भी व्यक्ति की सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती है. अकसर इस तरह की समस्या 60 से 70 की उम्र में आती है. लेकिन कुछ मामलों में किसी बीमारी या फिर अटैक के कारण सुनने की क्षमता कम हो सकती है. मशहूर सिंगर अलका याग्निक को भी इसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस बीमारी के कारण उनकी सुनने की क्षमता प्रभावित हो गई है. उन्होंने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा की थी. इस बीच यह सवाल उठता है कि क्या अलका के सुनने की क्षमता फिर से पूरी तरह वापिस आ सकती है? इस बारे में एक्सपर्ट्स ने बताया है.
भारत में कॉक्लियर इम्पलांट के जनक पद्मश्री डॉ जेएम हंस ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में कहा कि अलका याग्निक अब भी सुन सकती हैं. उन्होंने कहा कि अभी भी उम्मीद की किरण बाकी है. डॉ जेएम हंस ने कहा कि आमतौर पर लोग यह मान बैठते हैं कि एक बार यदि सुनने की क्षमता चली गयी तो फिर कभी ठीक नहीं हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है.
इलाज है संभव
आर्टिमिसअस्पताल के न्यूरो डिपार्मेंट के हेड डॉ सुमित सिंह ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में बताया कि आमतौर पर इसे समझने की कोशिश करें तो सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस एक तरह की ऐसी बीमारी है जिसमें सुनने की क्षमता किसी भी व्यक्ति की प्रभावित होती है. कान के भीतर के हिस्से पैथोलॉजी और कोक्लीयर नर्व जो दिमाग तक ऑडियो सिग्नल पहुंचाती है उसके डैमेज होने से सुनाई देना बंद हो जाता है.
सुनने में हो रही हानि को ठीक करने का सबसे सरल और बेहतर उपाय सर्जरी है. उन्होने कहा कि जब प्राकृतिक तौर पर कान के श्रवण यंत्र पर्याप्त नहीं होते हैं तो इस प्रकार की श्रवण हानि को सर्जरी के द्वारा कोकलियर इंप्लांट के साथ इलाज किया जाता है. इससे मरीज महज 8 से 10 दिनों में ठीक हो जाता है.
सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस क्यों होता है
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ शरत चन्द्र ने बताया कि कान के आंतरिक हिस्से में यह समस्या होती है. कान क माध्यम से ध्वनि को ले जाने वाली छोटी बाल कोशिकाएं क्षति या बीमारी के कारण ठीक से काम नहीं करती हैं. कान के अंदर का स्टेम सेल सही तरीके से काम नहीं कर पाता है.
कितना खतरनाक है यह
डॉ जेएम हंस ने बताया कि कभी कभी यह परमानेंट हियरिंग लॉस भी हो जाता है. कुछ मामलों में थोड़ा हियरिंग लॉस होता है जो धीरे धीरे पूरी तरह सुन्न कर देता है. ऐसे में मरीज कुछ भी नहीं सुन पाता है. उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में 1.5 अरब लोग इस बीमारी से ग्रसित है.