इराक और अफगानिस्तान युद्ध पर जूलियन असांज ने ऐसे क्या खुलासे किए थे जिनपर मच गया था पूरी दुनिया में हंगामा
विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे सोमवार, 24 जून को रिहा हो गए. उन्हें लंदन हाईकोर्ट से जमानत मिली और फिर तकरीबन 1,900 दिन जेल में बिताने के बाद वह ब्रिटेन के बेलमार्श जेल से ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो गए. असांजे की रिहाई के लिए समूची दुनिया में मुहिम चली. पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने वाले दुनिया के छोटे-बड़े नामों ने असांजे के पक्ष में माहौल बनाया और फिर उनकी रिहाई का दिन आया. अमेरिकी सरकार को हमेशा असांजे से दिक्कत रही, इसकी वजहें कई हैं.
दरअसल, 2006 में असांजे ने विकीलीक्स की स्थापना की. इसका मुख्य उद्देश्य गोपनीय दस्तावेज और तस्वीरें प्रकाशित करने का था. यह संस्थान अपनी स्थापना के 4 साल बाद चर्चा में आया. 2010 में विकीलीक्स ने कुछ वीडियो जारी किए जिसमें दिख रहा था कि किस तरह अमेरिकी जवान इराक में आम नागरिकों की हत्या कर रहे हैं. इसी के साथ असांजे ने अफगानिस्तान में अमेरिका की ओर से लड़ाई लड़ रहे सैनिकों से भी संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक किए. नतीजा यह हुआ कि अमेरिका बौखला उठा. उसने इसे अपने मुल्क की जासूसी माना.
अमेरिकी इंटेलिजेंस की सदस्य का आया नाम
अमेरिका ने तफ्तीश की. पता चला अमेरिकी इंटेलिजेंस की सदस्य चेलसिया मैनिंग ने कुल 7 लाख गोपनीय दस्तावेज, वीडियो और कुटनीतिक बातचीत को विकीलीक्स से साझा किया था. ऐसे में, चेलसिया की गिरफ्तारी हुई. चेलसिया का कहना था कि वह तो केवल अमेरिकी विदेश नीति से जुड़ी जानकारियों को सार्वजनिक बहस में लाना चाहती थीं. लेकिन अमेरिकी सरकार ने माना कि उनके इस कृत्य से कई लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ी है और चेलसिया को सजा दी जानी चाहिए. चेलसिया को कोर्ट मार्शल के तहत सजा हुई. हालांकि, बाद में उनकी सजा कम कर दी गई.
असांजे के नाम की गिरफ्तारी का वारंट
विकीलीक्स की पूरी कोशिश गोपनीय बातों, दस्तावेजों से परदा उठाने की रही है. आरोप हैं कि अमेरिकी इंटेलिजेंस की अधिकारी चेलसिया ने गोपनीय जानकारियों को विकीलीक्स को दिया था. जिसे असांजे ने दुनिया के सामने उजागर किया. असांजे के नाम की गिरफ्तारी का वारंट निकला. दिलचस्प बात ये थी कि उन पर स्वीडेन ने बलात्कार और छेड़छाड़ के आरोप लगा दिए. असांजे का दावा था कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, और सभी आरोप निराधार हैं. आखिरकार असांजे को दिसंबर 2010 में गिरफ्तार कर लिया गया. यूके की सुप्रीम कोर्ट ने असांजे के स्वीडन में प्रत्यर्पण की बात की ताकि उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच हो सके.
इस तरह स्वीडन ने वापस लिए मामले
जून 2012 में असांजे को लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास में शिफ्ट कर दिया गया. इक्वाडोर ने असांजे को शरण देते हुए कहा कि उन्हें डर है कि अगर उन्हें प्रत्यर्पित किया गया तो उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है. बाद में स्वीडिश अधिकारियों ने असांजे के खिलाफ उन दो आरोपों की जांच बंद कर दी जिनमें एक यौन उत्पीड़न और दूसरा जबरदस्ती का था. हालांकि, असांजे पर बलात्कार का गंभीर आरोप लगा रहा. बाद में असांजे के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र से बयान आए. यूएन ने असांजे की गिरफ्तारी को मनमानी वाला माना. आखिरकार, स्वीडेन ने असांजे के खिलाफ बलात्कार के मामले को भी वापस ले लिया.
5 साल बाद रिहाई, मानवाधिकार की जीत
हालांकि, अप्रैल 2019 आते-आते इक्वाडोर के अधिकारियों से असांजे का विवाद हो गया और उन्हें स्वीडिश दूतावास से हटा दिया गया. इसके बाद वे लंदन पुलिस की गिरफ्त में आ गए. इधर अमेरिका जासूसी मामले में असांजे पर 18 आरोप लगाकर प्रत्यर्पण की मांग करने लगा. अब तकरीबन पांच सालों तक जेल में रहने के बाद असांजे को रिहा कर दिया गया है. असांजे 5 साल तक 2 बाई 3 के एक कारावास में रहे. जहां तकरीबन 23 घंटे तक वह एकदम अलग-थलग रहते थे. अब 5 साल के बाद वह अपनी पत्नी स्टेला असांजे और अपने बच्चों से मिल रहे हैं. उनकी रिहाई को मानवाधिकार की जीत कही जा रही है.