यूएस-चीन बने चांदी के दुश्मन! भारत में 10 हजार कम हुए दाम, ये है पूरा मामला
बीते कुछ समय से चांदी की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. भारत के बाजार में चांदी 6 से 7 हफ्तों के लोअर लेवल पर पहुंच गई है. आंकड़ों को देखें तो रिकॉर्ड हाई से चांदी के दाम करीब 11 फीसदी नीचे आ चुके हैं. जानकारों की मानें तो चांदी की कम हुई डिमांड और अमेरिकी सेंट्रल बैंक के फैसलों की वजह से कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में चांदी को लेकर कोई खास ट्रिगर बनता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. वैसे साल के अंत का टारगेट एक लाख रुपए है. आइए आंकड़ों की भाषा से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर चांदी के दाम कितने हो गए है?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की दरों में कटौती के संबंध में तीखी टिप्पणियों के बाद मजबूत होते अमेरिकी डॉलर और बढ़ती ट्रेजरी यील्ड की वजह से एमसीएक्स पर चांदी की कीमतें बुधवार को 6 से 7 हफ्तों के निचले स्तर 86,156 रुपए प्रति किलोग्राम तक गिर गईं. खास बात तो ये है कि बीते 4 कारोबारी दिनों में चांदी की कीमत में 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है.
बुधवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज बंद होने पर चांदी के दाम 86,900 पर दिखाई दिए हैं. चांदी की कीमतें 29 मई को 96,493 रुपए प्रति किजोग्राम के साथ लाइफ टाइम हाई पर थे. तब से इसमें 10.71 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. इसका मतलब है कि चांदी के दाम करीब एक महीने के अंतराल में रिकॉर्ड हाई से 10,337 रुपए प्रति किलोग्राम कम हो चुके हैं.
क्या कह रहा है फेड
फेडरल रिजर्व के गवर्नर मिशेल बोमन ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बैंक दरें कम करने के लिए तैयार नहीं है और अगर महंगाई ऊंची रहती है तो वह दरें बढ़ाने के लिए तैयार है. इसी तरह, फेड गवर्नर लिसा कुक ने कहा कि कुछ बिंदु पर दर में कटौती उचित हो सकती है, लेकिन समय अनिश्चित है. सैन फ्रांसिस्को फेड बैंक की अध्यक्ष मैरी डेली ने सोमवार को कहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक को तब तक दरों में कटौती नहीं करनी चाहिए जब तक पॉलिसी मेकर्स को यह विश्वास न हो जाए कि महंगाई 2 फीसदी तक नहीं आ जाती. हालांकि, उन्होंने बढ़ती बेरोज़गारी के खतरे पर भी ध्यान दिया.
सितंबर में ब्याज दरों में कटौती संभव
जून के महीने में अमेरिका में बिजनेस 26 महीने के हाई पर पहुंच गई थी. निवेशक अब पहली दर में कटौती के संकेत के लिए इस सप्ताह आने वाले आर्थिक आंकड़ों पर फोकस किए हुए हैं. हालांकि गर्मियों में दर में कटौती की संभावना कम दिख रही है, लेकिन निवेशकों को विश्वास है कि सितंबर में फेड ब्याज दरों में संभावित कटौती कर सकता है. सीएमई ग्रुप के फेड वॉच टूल के अनुसार, व्यापारियों को वर्तमान में दरों में कटौती की 67.7 फीसदी संभावना दिख रही है. फेड ने अपनी आखिरी पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों को 23 साल के उच्चतम स्तर 5.25 फीसदी से 5.50 फीसदी के साथ कोई बदलाव नहीं किया था. इसके अलावा, फेड ने तीन दर कटौती के अपने पहले के अनुमान में बदलाव करते हुए एक कर दिया था.
निवेशकों की है पैनी नजर
इस सप्ताह, निवेशक प्रमुख इकोनॉमिक इंडीकेटर्स पर करीब से नजर रख रहे हैं, जैसे कि गुरुवार को होने वाला पहली तिमाही का अमेरिकी जीडीपी अनुमान और शुक्रवार को जारी होने वाला पर्सनल कंजंप्शन एक्सपेंडिचर (पीसीई) प्राइस इंडेक्स रिपोर्ट जारी होगी. खास बात तो ये है अगर पर्सनल कंजंप्शन एक्सपेंडिचर के आंकड़ें बेहतर आते हैं तो चांदी की कीमत में और गिरावट देखने को मिल सकती है.इस बीच, इकोनॉमिक आउटलुक को देखते हुए अमेरिकी कंज्यूमर कांफिडेंस में कमी देखने को मिली है. वहीं अमेरिकी परिवार लेबर मार्केट को लेकर काफी उत्साहित हैैं और अगले वर्ष महंगाई कम होने की उम्मीद लगा रहे हैं. लेबर मार्केट के स्ट्रांग रहने के कारण फेड लंबे समय तक ब्याज दरों को हाई रखने में सक्षम रहा है. दूसरी ओर, चीन की ओर से डिमांड कम होने के कारण भी चांदी को लेकर सेंटीमेंट पर असर डाला है.