इतनी घबराहट! दो देशों की दोस्ती से क्यों सहम गया 32 सदस्यों वाला दुनिया का सबसे ताकतवर संगठन?
नाटो के सदस्य देश इस वक्त अमेरिका के वाशिंगटन में हैं. नाटो की 75वीं सालगिरह पर हो रहे समिट में चर्चा का मुख्य विषय यूक्रेन पर रूसी आक्रमण है. पिछले 2 साल से ज्यादा से पश्चिमी देश रूस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रूस दबाव में आने की बजाय और मजबूत ही होता जा रहा है. रूस के मजबूत होने की बड़ी वजह चीन है, जिसने प्रतिबंधों के बावजूद रूस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने नहीं दी है. रूस और चीन की बढ़ती दोस्ती से अब 32 देशों के संगठन नाटो को चिंता होने लगी है. नाटो ने बुधवार को अपने डिक्लेरेशन में दोनों देशों के गहरे होते रिश्तों पर चिंता जताई है.
वाशिंगटन शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में कहा गया है, “चीन के कई कदम और दबावपूर्ण नीतियां हमारे हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती देती रहती हैं. रूस और चीन के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमतर करने का प्रयास गंभीर चिंता की वजह है.”
ईरान और नॉर्थ कोरिया पर भी बात
नाटो डिक्लेरेशन में ये कहा गया है कि चीन, रूस और कई दूसरे गुटों की ओर से हम हाइब्रिड, साइबर, स्पेस अन्य खतरों का सामना कर रहे हैं. रूस चीन, ईरान और नॉर्थ कोरिया के साथ मिलके एक नए ग्रुप खड़ा करने के कोशिश कर रहा है. ये तीनों देश ने यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस की आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक मदद की है. जिसने नाटो देशों की चिता को बढ़ा दिया है.
हालांकि, चीन इस बात से इनकार करता आया है कि वो रूस के आक्रमण का समर्थन कर रहा है. रूस और चीन के रिश्ते इतिहास में अपने सबसे अच्छे दौर में हैं, चीन ने हाल के सालों में रूस के साथ अपने व्यापार और सैन्य संबंधों को मजबूत किया है. चीन ने रूस को मशीन टूल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति की है जिन्हें युद्ध में योगदान देने के रूप में देखा जा रहा है.
नाटो मीटिंग
घोषणापत्र में कहा गया है, “आतंकवाद, अपने सभी रूपों में हमारे नागरिकों और विश्व की शांति के लिए खतरा है. हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं, वे वैश्विक और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.”
नाटो में शामिल हुए दो देश
रूस की चेतावनी के बावजूद इस साल दो देश फिनलैंड और स्वीडन नाटों का हिस्सा बने हैं. नाटो डिकलेरेशन में कहा गया है कि फिनलैंड और स्वीडन का शामिल होना उन्हें सुरक्षित बनाता है और गठबंधन को मजबूत करता है. फिनलैंड का बॉर्डर रूस के साथ मिलता है, फिनलैंड के अंदर नाटो सेनाओं की तैनाती होना रूस के लिए सीधे तौर पर खतरा है.
नाटो ने ये भी माना कि यूक्रेन पर रूस के हमले ने यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खत्म कर दिया है और वैश्विक सुरक्षा को गंभीर रूप से कमजोर किया है. साथ ही कहा गया है कि रूस हमारे सहयोगियों के लिए बड़ा खतरा.