तेलंगाना: SC ने केसीआर की याचिका पर की सुनवाई, बिजली क्षेत्र में अनियमितताओं से जुड़ा है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की याचिका पर सुनवाई की. इसमें राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज करने के तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने 1 जुलाई को केसीआर की ओर से दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया था. इसमें बीआरएस शासन के दौरान बिजली क्षेत्र में कथित अनियमितताओं की पड़ताल के लिए जांच आयोग के गठन को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी. इसके बाद केसीआर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
हम न्यायिक जांच वाले हिस्से को स्पष्ट करेंगे- CJI
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का सीधा मामला है. जब भी सरकार बदलती है तो पूर्व मुख्यमंत्री पर मुकदमा होता है. वहीं, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह स्पष्ट कर देंगे कि न्यायिक जांच कहकर वे इसे आयोग के दायरे से बाहर नहीं ले जा सकते हैं.
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रोहतगी ने कहा कि आप आयोग में जिम्मेदारी तय नहीं कर सकते. यह टैरिफ के अनुमोदन के लिए था. बिजली संकट था और इस प्रकार राज्य ने छत्तीसगढ़ राज्य से बिजली खरीदी और पीपीए को छत्तीसगढ़ राज्य आयोग और तेलंगाना राज्य आयोग से सिफारिश की जरूरत थी. इसपर सीजेआई ने कहा कि हम न्यायिक जांच वाले हिस्से को स्पष्ट करेंगे.
रोहतगी ने दलील रखी कि क्या एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले आयोग द्वारा न्यायिक अतिक्रमण हो सकता है? सीजेआई ने कहा लेकिन अगर वे आपको दोषी करार देते हैं तो ऐसा जानबूझकर नहीं किया जा सकता है.
जांच आयोग अधिनियम के दायरे में आएगा
कोर्ट के आदेश में दर्ज किया कि जांच आयोग और जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल एस ने एक संचार रिकॉर्ड पर रखा है, जिसमें संकेत दिया गया है कि जस्टिस रेड्डी ने कहा है कि वह उन्हें जांच आयोग के रूप में नियुक्त करने वाली अधिसूचना के अनुसरण में कार्य करना जारी रखने का इरादा नहीं रखते हैं.
इस घटनाक्रम के मद्देनजर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि जस्टिस रेड्डी के स्थान पर वैकल्पिक नियुक्ति के लिए एक अधिसूचना जारी की जाएगी. राज्य द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि 14 मार्च की अधिसूचना में न्यायिक अभिव्यक्ति का उद्देश्य पूर्व न्यायाधीश के रूप में एक सदस्यीय आयोग की स्थिति को संदर्भित करना था. यह जांच आयोग अधिनियम के दायरे में आएगा.

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