बारिश में बढ़ जाता है रैट फीवर का खतरा, जानें इसके लक्षण और बचाव का तरीका

ज्यादा बारिश या बाढ़ प्रभावित इलाकों में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इनमें से एक रैट फीवर भी है जो गंभीर बीमारियों की लिस्ट में आता है. साल 2018 में अकेले केरल में रैट फीवर से करीब 45 लोगों की मौत हुई थी. हर साल मानसून के दौरान बाढ़ के कारण इस खतरनाक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इसे लेप्टोस्पायरोसिस भी पुकारा जाता है. ये बैक्टीरियल इंफेक्शन की लिस्ट में आता है जिसमें मरीज को तेज बुखार की शिकायत होती है. टाइम पर अगर रोगी को मेडिकल ट्रीटमेंट न मिले तो उसकी मौत तक हो जाती है. चूहों से फैलने वाली ये बीमारी पानी के जरिए इंसानों में फैलती है. लेप्टोस्पायरोसिस आमतौर पर चूहों या कुत्तों में पाए जाने वाला वायरस है.
बाढ़ के दौरान चूहे जैसे जानवर और इंसान किसी न किसी तरीके से संपर्क में आ जाते हैं. लोगों में इस बीमारी के फैलने का अहम जरिए पानी है. ये संक्रमित पानी इंसानों को लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित कर देता है. चलिए आपको बताते हैं कि ये बीमारी क्या होती है और इसके लक्षण क्या होते हैं. साथ ही जानें आप इससे किस तरह बच सकते हैं.
रैट फीवर की बीमारी कैसे फैलती है
बीमारी से संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से ये बीमारी फैलती है. ऐसे जानवरों को टच करने, इनके झूठे भोजन का सेवन करने से और इनसे संक्रमित पानी को पीने या इसके संपर्क में आने से ये रोग शरीर में फैल जाता है. लेप्टोस्पायरोसिस का शिकार बने व्यक्ति से ये दूसरे व्यक्तियों में फैल जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये स्किन के जरिए भी हमारे अंदर पहुंच सकता है. दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में रेजिडेंट डॉ. अंकित कुमार सिंह कहते हैं कि बारिश के मौसम में रैट फीवर के मामले बढ़ जाते हैं. ये फीवर संक्रमित चूहों के मूत्र से फैलता है. जब संक्रमित चूहें का मूत्र पानी में जाता है और कोई व्यक्ति उसके संपर्क में आ जाता है तो उसे रैट फीवर हो जाता है.
रैट फीवर के बाद नजर आते हैं ये लक्षण
इसका सबसे बड़ा लक्षण तेज बुखार है. अगर कोई व्यक्ति बाढ़ प्रभावित इलाके में है और उसे तेज बुखार की शिकायत हो रही है तो उसे डेंगू-मलेरिया के साथ रैट फीवर की जांच भी करानी चाहिए.
सिर में दर्द
बॉडी पेन
बॉडी का लाल होना
स्किन में रैशेज
पीलिया की शिकायत
रैट फीवर से बचाव के तरीके
दिल्ली के राजीव गांधी हॉस्पिटल में डॉ. अजित जैन कहते हैं कि रैट फीवर से बचाव के लिए जरूरी है कि आप संक्रमित पानी न पीएं. यानी बारिश के दौरान पानी को उबालकर पीना ज्यादा बेहतर है. जिन इलाकों में बाढ़ आ रखी है वहां इस बात का अधिक ध्यान देना चाहिए.
कोशिश करें कि आप बाढ़ के पानी के संपर्क में न आएं. भूल से भी इस पानी का सेवन करें.
बाहर जा रहे हैं तो वाटरप्रूफ जूते और दस्ताने पहनकर निकलें. बाढ़ वाले इलाके में इस तरह की सेफ्टी को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.
गंदे पानी के संपर्क में आए भोजन का सेवन न करें. इसलिए मीट, मछली जैसी चीजों को खाने से परहेज करना ही बेहतर रहता है.
अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा सूखा रखने का प्रयास करें और हो सके तो खाने की चीजों को अच्छे से पकाएं.
सबसे जरूरी है कि अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं. या फिर बाहर निकलते समय अपने साथ सेनेटाइजर जरूर रखें.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *