अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में कितने हथियारों का जखीरा छोड़ा, क्यों साथ नहीं ले जा पाई?

साल 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया. यहां मची अफरा-तफरी के बीच अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा. इस फैसले के बाद अमेरिकी सेना को अपने हथियार और जंग से जुड़े साजो-सामान वहीं छोड़ने पड़े. अमेरिकी सेना की इस गलती का फायदा पाकिस्तान ने उठाया. अमेरिकी सैनिक के हथियारों पर तालिबानी आतंकियों ने कब्जा किया और उनके जरिए ये पाकिस्तान तक पहुंचे. अब उन हथियारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा रहा है.
कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमेरिका ने 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत के हथियार छोड़ दिए थे. जानिए अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में कौन-कौन से हथियार छोड़े और ऐसा क्यों करना पड़ा?
भारी हथियार से लेकर स्नाइपर तक अफगानिस्तान में छूटे
आनन-फानन में लिए फैसले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में 7 बिलियन से ज्यादा कीमत के जो हथियार छोड़े उनकी संख्या 3.16 लाख से भी ज्यादा थी. इसमें 26 हजार भारी हथियार थे. इसके अलावा M24 स्नाइपर, M4 कार्बाइन, M-16A4 राइफल, M249 मशीन गन, AMD राइफल, M4A1 कार्बाइन और M16 A2/A4 असॉल्ट राइफल समेत कई वेपन शामिल थे.
रिपोर्ट में दावा किया गया कि अमेरिकी सेना 15,37,000 जिंदा कारतूस अफगानिस्तान में ही छोड़ गई थी, जिसकी कीमत 48 मिलियन डॉलर बताई गई थी. इसके अलावा 42000 नाइट विजन सर्विलांस, बायोमीट्रिक एंड पोजिशनिंग इक्विपमेंट भी उन चीजों में शामिल थे जो अमेरिका सेना नहीं ले जा पाई.
तालिबान ने इन हथियारों का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया. इन हथियारों को बेचा गया है. आतंकी घटनाओं में इस्तेमाल किया गया. तालिबान ने अमेरिकी सेना की एक M4 कार्बाइन को 2400 डॉलर और एक AK-47 130 को डॉलर में बेचा था. 500 से 1000 डॉलर में नाइट विजन कैमरे की डील की गई.
अमेरिकी सेना क्यों नहीं ले गई हथियार?
अमेरिकी सेना को अपने हथियार और साजो-सामान अफगानिस्तान में क्यों छोड़ने पड़े अब इसके कारणों को भी समझ लेते हैं. अमेरिकी सेना के लिए इतनी बड़ी मात्रा में हथियार और जंग का साजो-समान लेकर जाना मुश्किल था. ये सामान भारी होने के कारण इन्हें ले जाने के लिए सेना के पास साधन नहीं थे. इसकी व्यवस्था न कर पाने की असल वजह थी समय की कमी.
योजना थी कि जाते समय इन्हें नष्ट कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. कुछ मामलों में, साइट पर उपकरण को नष्ट करना अव्यावहारिक और खतरनाक माना जा रहा था. हालांकि, कुछ उपकरणों को जानबूझकर नष्ट या निष्क्रिय कर दिया गया था.
वापसी के समय-सीमा बड़ी बाधा थी. सैन्य कर्मियों और अफगान सहयोगियों दोनों को जल्द से जल्द निकालना जरूरी था. यही वजह थी कि सभी हथियारों को लेकर जाना मुश्किल हो गया.
हथियारों के बड़े हिस्से को अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के लिए भी छोड़ा गया था. उम्मीद यह थी कि ये बल देश की सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उपकरणों का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सुरक्षा बलों के तेजी से पतन के कारण हथियारों का अधिकांश भाग तालिबान के हाथों में चला गया.
इसके अलावा हथियारों को छोड़ने की एक वजह यह भी रही कि कुछ इक्विपमेंट और हथियार पुराने और आउडेटेड हो चुके थे. उनके होने के मायने खत्म हो गए थे. अमेरिका उन्हें ले जाकर ट्रांसपोर्टेशन में पैसा नहीं फूंकना चाहता था. हालांकि, इस विषय पर बड़ी बहस छिड़ी थी जो अमेरिका के साथ दुनियाभर में चर्चा में रही थी.
यह भी पढ़ें: IAS पूजा का फर्जीवाड़ा, मां की दबंगई और पिता के कारनामों की कुंडली

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *