लिव-इन रिश्ते को UCC के तहत रिजस्टर कराओ…ऐसा क्यों बोला कोर्ट?

उत्तरखंड के लिव-इन में रह रहे एक अंतरधार्मिक जोड़े ने अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लिव-इन में रह रहे अंतरधार्मिक जोड़े की दायर याचिका पर आदेश दिया है कि अगर जोड़ा खुद को 48 घंटे के अंदर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत पंजीकृत करवाता है, तो उसे जरूरी सुरक्षा दी जाएगी.
सरकारी वकील ने स्पष्ट किया कि मामले में पेश हुए जूनियर सरकारी वकील को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उत्तराखंड में यूसीसी की अधिसूचना जारी नहीं हुई है. सरकारी वकील ने कहा, अब अदालत के आदेश में से यूसीसी वाले हिस्से को निकालने के बाद संशोधित आदेश जारी किया जाएगा. इसके लिए शनिवार को एक रिकॉल याचिका दायर की जाएगी. हालांकि, इस बीच कपल को सुरक्षा प्रदान की जाएगी.
उत्तराखंड में UCC को मंजूरी
इस साल फरवरी में उत्तराखंड विधानसभा से यूसीसी को पारित किया गया था. जिस के तहत प्रदेश में रहने वाले सभी धर्म-समुदाय के नागरिकों के लिए विवाह, संपत्ति, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक समान कानून लागू करने का प्रावधान है. हालांकि, अधिनियम में विवाह और लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है.
9 नवंबर को होगा UCC लागू
अधिनियम को प्रदेश के राज्यपाल और राष्ट्रपति दोनों से मंजूरी मिल चुकी है साथ ही उसे लागू करने के लिए नियमावली तैयार की जा रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से पहले प्रदेश में यूसीसी लागू करने की बात कह चुके हैं.
लिव-इन में रह रहे जोड़े ने दायर की याचिका
मामले में लिव-इन संबंध में रह रही 26 वर्षीय हिंदु युवती और 21 वर्षीय मुसलमान युवक ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा था कि वे दोनों बालिग हैं और अलग-अलग धर्म को मानते हैं, लेकिन अपने परिवार वालों से डर कर उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली है और सुरक्षा की मांग की है.
कपल के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य
सरकारी वकील ने उत्तराखंड यूसीसी की धारा 378 (1) का हवाला देते हुए कहा कि उत्तराखंड में लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को अपने बारे में जानकारी देते हुए रजिस्ट्रार के सामने अपना रिश्ता पंजीकृत कराना जरूरी है. वकील ने यह भी कहा कि संबंध जुड़ने के एक महीने के अंदर अगर वे उसका पंजीकरण नहीं करवाते, तो इसके लिए जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है.
छह हफ्ते के लिए मिलेगी सुरक्षा
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने शुक्रवार को याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता 48 घंटों के अंदर पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं, तो संबंधित थाना अध्यक्ष छह हफ्ते के लिए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करवाएंगे. हालांकि, यूसीसी की अधिसूचना जारी न होने के मद्देनजर पंजीकरण वाले हिस्से में बदलाव के लिए शनिवार को रिकॉल याचिका दाखिल की जाएगी.

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