हिंसा, आगजनी और कर्फ्यू… बांग्लादेश में आरक्षण पर क्यों मचा कोहराम? 10 पॉइंट्स में जानिए

बांग्लादेश में आरक्षण की आग हर दिन विकराल और विस्फोटक रूप धारण करती जा रही है. देश आरक्षण वाला क्लेश, गृहयुद्ध की तरफ जा रहा है. बांग्लादेश के युवा सड़कों पर उतर चुके हैं. आरक्षण के नाम पर अब सत्ता को ललकार रहे हैं. पुलिस और सेना दोनों को खुल्लम खुल्ला चुनौती दे रहे हैं. पूरे देश के युवाओं में आक्रोश है. हर तरफ सरकार के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठ रही है. सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है. हिंसा काबू करने के लिए सेना को तैनात किया गया है. ढाका यूनिवर्सिटी को अगले आदेश तक के लिए बंद किया गया है.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने नरसिंगडी जिले में एक जेल पर हमला कर सैकड़ों कैदियों को छुड़ा लिया और जेल को आग के हवाले कर दिया. बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण वो चिंगारी है जिससे भड़की आग का दायरा देशव्यापी है. इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि बांग्लादेश के युवाओं में सरकारी नौकरी को लेकर बहुत ज्यादा क्रेज होता है. मतलब वहां ज्यादातर युवाओं का सपना सरकारी नौकरी करना, सरकारी अफसर बनना होता है.

कर्फ्यू के बाद भी कोहराम: बांग्लादेश की सड़कों पर सेना और कर्फ्यू के आदेश के बाद भी सड़कों पर कोहराम है. सेना की गाड़ियां बांग्लादेश की गलियों में दौड़ रही है. हालात को काबू करने की कोशिश कर रही है. जमीन से लेकर आसमान तक निगरानी की जा रही है. हेलिकॉप्टर से सेना के जवान उपद्रवियों पर नजर रख रहे हैं.
पुलिस के पास विकल्प नहीं: हिंसा से जुड़े जो वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे अब पुलिस के पास को विकल्प नहीं बचा है. कुछ जगहों पर पुलिस वैन से प्रदर्शनकारियों को कुचले जाने का दावा किया जा रहा है. सड़क पर या तो प्रदर्शनारी युवा नजर आ रहे है या फिर सेना और पुलिस के जवान.
मारने और मरने के लिए तैयार युवा: देश के युवा सेना के जवानों और पुलिस से भी दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं. आग, फायरिंग, झड़प के बाद कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारी युवाओं के हाथ में तलवारें भी देखी गईं. सोचिए जिस देश में लाखों की संख्या में युवा सड़क पर हैं. वो तलवार को हथियार बनाकर घूम रहे हैं वहां की स्थिति क्या होगी.
हिंसा के बीच पलायन: हिंसा प्रभावित बांग्लादेश से 360 से अधिक भारतीय, नेपाली, भूटानी नागरिक मेघालय पहुंचे हैं. जिससे राज्य में शरण लेने वालों की संख्या 670 से अधिक हो गई है. गृह विभाग एक अधिकारियों ने यह जानकारी दी. 363 लोग दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिये मेघालय पहुंचे, जिनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक शामिल है.
मोबाइल और इंटरनेट पर बैन: राजधानी ढाका और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पें होने के बाद अधिकारियों ने मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी है. कुछ टेलीविजन समाचार चैनलों में भी कामकाज बंद हो गया. अधिकांश बांग्लादेशी समाचार पत्रों की वेबसाइट नहीं खुल रही हैं.
मौत का आंकड़ा 100 के पार: मृतकों की संख्या की पुष्टि करने के लिए अधिकारियों से तत्काल संपर्क नहीं हो सका, लेकिन ‘डेली प्रथम आलो’ समाचार पत्र की खबर में बताया गया है कि मंगलवार से अब तक 103 लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा प्रदर्शन और फायरिंग की घटना में सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं.
भारत का रुख: भारत ने बांग्लादेश में हिंसक विरोध-प्रदर्शन को शुक्रवार को उस देश का आंतरिक मामला करार दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 8,000 छात्रों सहित लगभग 15,000 भारतीय वर्तमान में बांग्लादेश में रह रहे हैं और वे सुरक्षित हैं. जैसा कि आप जानते हैं, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हम इसे उस देश का आंतरिक मामला मानते हैं.
यूएन बेहद चिंतित: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि गुतारेस बांग्लादेश के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं और वहां जारी हिंसा से बेहद चिंतित हैं. प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि हम ढाका और बांग्लादेश के अन्य स्थानों पर घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं साथ ही सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बांग्लादेश सरकार से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की अपील की है.
क्यों हो रहा विरोध: ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक का आरक्षण देने की व्यवस्था के खिलाफ हैं. उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए. प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है.
क्या है छात्रों की मांग: बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानी यानी मुक्ति योद्धा के बच्चों को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाता है जिसे घटाकर 10 फीसदी करने की मांग की जा रही है. योग्य उम्मीदवार नहीं मिले तो मेरिट लिस्ट से भर्ती हो. सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान परीक्षा होनी चाहिए. सभी उम्मीदवारों के लिए उम्र सीमा एक समान हो. एक बार से ज्यादा आरक्षण का इस्तेमाल न किया जाए.

( टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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