जेल में बंद नेता नहीं कर सकेंगे ऑनलाइन चुनाव प्रचार, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया. इस याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि गिरफ्तार नेताओं को वर्चुअल कॉन्फ्रेंस मोड के माध्यम से प्रचार करने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने मौखिक रूप से करते हुए कहा कि याचिका गलत इरादों से दायर की गई है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने खारिज किया है.
इससे पहले एक मई को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने भी याचिका खारिज कर दिया था. उनका कहना था कि ये एक अत्यधिक जोखिम भरी याचिका है, जो कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता अमरजीत गुप्ता की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग को ऐसे निर्देश देने से खूंखार अपराधी, यहां तक ​​कि भगोड़ा गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम भी राजनीतिक दलों में अपना पंजीकरण करा लेंगे.
पूरी याचिका एक विशेष व्यक्ति पर केंद्रित- सुप्रीम कोर्ट
गुप्ता ने हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि पूरी याचिका एक विशेष व्यक्ति पर केंद्रित है. उसने कहा, ‘आप एक व्यक्ति पर ही क्यों ध्यान केंद्रित कर रहे हैं? आपकी पूरी दलीलें एक विशेष राजनीतिक व्यक्ति के बारे में हैं, जो हर दिन बेहतरीन वकीलों के साथ इस कोर्ट में पेश होते हैं.’ ऐसा कहा जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर की है क्योंकि याचिका केजरीवाल की गिरफ्तारी के मद्देनजर दायर की गई थी.
याचिकाकर्ता है लॉ स्टूडेंट
याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि मामला बहुत महत्वपूर्ण है, तो कोर्ट ने कहा कि वह कानून के सवाल को खुला रखेगा और उसी पर फैसला सुनाएगा, लेकिन इस मामले में नहीं. याचिकाकर्ता अमरजीत गुप्ता फाइनल ईयर लॉ स्टूडेंट है. उन्होंने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि यह याचिका दिल्ली में प्रभावित पार्टी नेताओं और मतदाताओं की ओर से दायर की जा रही है.

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