बजट 2024-25: बिहार और आंध्र प्रदेश हुए मालामाल, दूसरे किस राज्य को क्या मिला?

केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बिहार, आंध्र प्रदेश को मालामाल करने वाले सबसे अलग पैकेज देने का ऐलान जरूर किया है लेकिन देश के बाकी राज्यों को भी अहम सौगात दी है. हालांकि कई ऐसे राज्य भी हैं जिनकी अनदेखी की गई है, मसलन उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए भी इस बजट में कोई योजना का ऐलान नहीं किया गया है. ये हाल तब है जबकि इस साल के अंत तक तीन बड़े राज्यों मसलन महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. बिहार और आंध्र प्रदेश के अलावा वित्तमंत्री ने उत्तर-पूर्व के राज्यों के विकास पर भी अहम फोकस किया है.
सरकार का मानना है कि इन राज्यों में विकास होने से देश को तेज गति से विकसित बनाया जा सकता है. इन राज्यों की ग्रोथ विकसित भारत मिशन में इंजन बन सकती है. और इसी आशय से निर्मता सीतारमन ने असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास और पर्यटन को विकसित करने के लिए पिटारा खोल दिया है. सरकार का प्लान इन क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास, बुनियादी ढांचे का निर्माण करना और रोजगार के अवसर का सृजन करना है.
बिहार-आंध्र प्रदेश में सिंचाई परियोजना पर जोर
सदन में बजट प्रस्ताव रखते हुए निर्मला सीतारमन ने कहा कि देश के पूर्वी भाग के राज्य धन-संपदा से समृद्ध हैं. यहां की सांस्कृतिक परंपराएं मजबूत हैं. लिहाजा यहां विकास जरूरी है. उन्होंने ऐलान किया कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को शामिल करते हुए पूर्वोदय योजना बनाई जाएगी. सरकार की योजना देश के पूर्वी क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना है. सरकार का मकसद इन राज्यों में विकास की गति को तीव्रता प्रदान करना है,
इस दिशा में सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम को ठोस बनाने की पहल की है. प्रदेश की राजधानी की जरूरतों को पहचानते हुए बहुस्तरीय विकास के एजेंडे पर फोकस किया है. बजट में विशेष वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस बाबत आंध्र प्रदेश को 15,000 करोड़ रुपये के स्पेशल पैकेज का एलान किया. वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाले सालों में जरूरत के हिसाब से ये राशि और बढ़ाई जा सकती है. सरकार पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. यह आंध्र प्रदेश और यहां के किसानों की जीवन रेखा है. इससे देश की खाद्य सुरक्षा में भी बढ़ोत्तरी होगी.
सिंचाई और स्थानीय रोजगार पर जोर
खाद्य सुरक्षा मजबूत करने और प्राकृतिक संसाधन की संरक्षा के साथ-साथ उसका सदुपयोग बढ़ाने के मकसद से ही बजट में बिहार के साथ-साथ उत्तराखंड, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम का विशेष ख्याल रखा है. सरकार का कहना है बिहार का एक बड़ा भाग हर साल बाढ़ से ग्रस्त रहता है. बरसात के मौसम में नेपाल से पानी की वजह से खासतौर पर कोशी क्षेत्र में भारी नुकसान देखने को मिलता है. ऐसे में सरकार सिंचाई लाभ कार्यक्रम के लिए 11,500 करोड़ रुपये की योजना लाएगी. इसका मकसद भी खाद्य सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण है.
पहाड़ी राज्यों पर भी बजट में फोकस
बिहार में बाढ़ पर नियंत्रण करने के एवज में ही सरकार ने उन पहाड़ी राज्यों के आधारभूत विकास पर भी विशेष फोकस किया हैं, जहां प्राकृतिक आपदा से भारी हानि होती है. पिछले साल हिमाचल प्रदेश में भयंकर बाढ़ आई थी जबकि उत्तराखंड में खदान धंसने से भयावह मंजर देखने को मिला था. ऐसी घटनाओं से संसाधन नष्ट होते हैं और स्थानीय स्तर पर नागरिकों को जीने की बुनियादी सुविधाओं से महरूम रह जाना पड़ता है. वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि यहां संसाधन संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय विकास के लिए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए योजना लाई जाएगी.
इन योजनाओं के तहत उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ सिक्किम, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है. वहीं सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में भी विकास का लक्ष्य रखा है. निर्मला सीतारमन ने कहा कि असम हर साल ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में आने वाली उफान की बाढ़ से जूझता है. बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए असम को सहायता दी जाएगी. वहीं पिछले साल हिमाचल प्रदेश को काफी नुकसान हुआ, जबकि उत्तराखंड में बादल फटने और बड़े पैमाने पर भूस्खलन से काफी नुकसान हुआ.
जम्मू-कश्मीर को क्या मिला?
जम्मू-कश्मीर में निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं. केंद्र शासित प्रदेश को इस साल के बजट में 42,277 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई है. फंडिंग का मकसद जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढांचे, विकास के प्रोजेक्ट, कल्याण कार्यक्रम और आर्थिक पहल को बढ़ावा देना है.
बजट मेंकई राज्यों कीअनदेखी
लेकिन इस बजट में देश के कई अहम राज्य मसलन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मणिपुर, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और गोवा के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं. आंध्र प्रदेश के लिए बजट में पिटारा खोला गया लेकिन विभाजित राज्य तेलंगाना को छोड़ दिया गया वहीं कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक को भी मायूसी हाथ लगी है.

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