कांवड़ यात्रा रूट में नेम प्लेट विवाद पर SC में नई याचिका दायर, दी ये दलील

22 जुलाई सोमवार से सावन शुरू हो गई जो 19 अगस्त को समाप्त होगी. इस बार कांवड़ यात्रा काफी विवादों में है.कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले खाने-पीने की दुकानों के मालिक और कर्मचारियों के नाम लिखने का आदेश मुजफ्फरनगर पुलिस ने दिया था. जिसे बाद में यूपी सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू कर दिया था. साथ ही उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने भी इसे लागू कर किया था. हालांकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है. कुछ दिनों बाद इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है. यह याचिका दुकानदारों का नाम दुकान के बाहर लिखने के समर्थन में दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर की गई इस याचिका में कई दलीलें दी गई हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने के साथ ही अपना पक्ष रखने की इजाजत मांगी है. उनका कहना है कि कोर्ट उनका भी पक्ष सुने.
‘मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश’
हरियाणा के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव अपनी याचिका में खुद को शिवभक्त बताया है. उनका कहना है कि मुजफ्फरनगर के एसएसपी द्वारा नेम प्लेट लगाने का निर्देश शिव भक्तों की सुविधा, उनकी आस्था और कानून व्यवस्था को कायम रखने को लेकर दिया गया था. लेकिन उनके निर्देश को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले दुकानदार नहीं बल्कि वो लोग हैं जो इस मामले को सियासी रंग देना चाहते हैं.
‘कोर्ट में दलील भ्रामक तथ्यों पर दी है’
सुरजीत सिंह यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट नेमप्लेट पर रोक के आदेश को वापस ले क्यों कि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील भ्रामक तथ्यों पर दी है. अर्जी में कहा गया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 जुलाई को पारित अंतरिम आदेश से वह प्रभावित है. याचिकाकर्ता ने इस मामले में दाखिल रिट याचिका में हस्तक्षेप करने की इजाजत मांगते हुए कहा कि भगवान शिव का भक्त होने के नाते वह कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश से प्रभावित पक्ष है.
अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी
नेम प्लेट मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई शुक्रवार को होनी है. इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई तक किसी को जबरन नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. वहीं इस मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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