हमारे सामने लोग मलबे में बह गए, लेकिन… पुलिसवाले ने बताया वायनाड का आंखों देखा हाल

वायनाड में आए भूस्खलन ने लोगों को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है. अब तक लोग उससे उबर नहीं पाए है. वायनाड में हुए इस हादसे को एक सप्ताह से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब भी लोग अपनों के इंतजार में राह देख रहे है. 30 जुलाई को वायनाड के मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में हुए विनाशकारी भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 300 से ज्यादा है. वहीं भारी भूस्खलन के बाद कई लोग लापता हैं.
इन सबके बीच एक पुलिस अधिकारी ने इस घटना का आंखों देखा हाल बताया है. ओडिशा से आए दो पर्यटक भूस्खलन की चपेट में आ गए थे. उनमें से एक टूटे हुए अंगों के साथ और दूसरा फटे कपड़ों और चोटों के साथ मदद के लिए चिल्ला रहे थे. तब मौके पर मैप्पडी पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी जिबलू रहमान ने मलबे से दोनों पर्यटकों को बचाया.
लोग मलबे के साथ बह गए
रहमान ने आगे बताया की नदी के ऊपर दो और लोग थे. दोनों की तलाश के लिए नदी के ऊपर गया. जैसे ही रहमान ऊपर की ओर बढ़ा, उसने एक तेज आवाज सुनी और महसूस किया कि एक और भूस्खलन हुआ है. कोई अन्य विकल्प न होने पर वह अपनी सुरक्षा के लिए ऊपर की ओर भागा. उसने देखा कि पानी तेजी से नीचे की ओर आ रहा है, जिसमें मिट्टी, चट्टानें और पेड़ हैं. रहमान ने बताया कि उसके सामने लोग मलबे के साथ बह गए. उनकी मदद करने में असमर्थ होने के कारण वह असहाय महसूस कर रहा था.
वन विभाग ने की मदद
वन विभाग की टीम पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद था. मैप्पडी के उप वन रेंज अधिकारी के प्रदीप ने बताया कि स्थानीय लोगों से फोन आने के बाद हमारी वन विभाग की टीम घटनास्थल पर गई, जिसमें कहा गया कि हाथी रिहायशी इलाके में घुस गए हैं. हम हाथियों को वापस जंगल में खदेड़ने के लिए वहां गए थे. मौके पर पहुंचने पर, उन्होंने नदी में बढ़ते जलस्तर को देखा और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी.
प्रदीप ने कहा कि जब हम लौट रहे थे, हमने एक आवाज सुनी और पहला भूस्खलन हुआ. लोग सुरक्षित स्थान की ओर भागने लगे और हमने उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए रास्ता खोजने में मदद करने के लिए अपनी सर्च लाइट और गाड़ी की हेडलाइट ऑन कर दिया था. वन विभाग टीम ने 45 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला.

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