मस्जिद के बाद अब मदरसा और कब्रिस्तान पर चलेगा बुलडोजर…DDA ने हाईकोर्ट से की बड़ी मांग, कौन बचाएगा?
महरौली में 700 साल पुरानी ऐतिहासिक मस्जिद को ध्वस्त करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के एक और कदम ने सबको चौंका दिया है. DDA ने दिल्ली हाईकोर्ट में कब्रिस्तान कंगाल शाह और मदरसा को लेकर याचिका दायर की है. DDA ने हाईकोर्ट से स्टे वेकेशन हटाने की मांग की है. DDA की दलील है कि इन दोनों ढांचों का निर्माण जमीन पर अवैध कब्जा करके किया गया है. स्टे वेकेशन हटने के बाद ही DDA अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत इन दोनों ढांचों को हटा सकता है. दिल्ली विकास प्राधिकरण के इस कदम से कब्रिस्तान कंगाल शाह और मदरसा पर बुलडोजर चलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.
DDA की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों ढांचों की प्रबंधन समिति को नोटिस जारी कर 10 दिनों के अंदर जवाब मांगा है. कब्रिस्तान कंगाल शाह और शाही मदरसा को हाईकोर्ट की ओर से जारी नोटिस पर तय समय अवधि के अंदर जवाब देना होगा. जवाब न देने की स्थिति में हाईकोर्ट आगे की कार्रवाई कर सकता है. DDA ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि कब्रिस्तान कंगाल शाह और शाही मदरसा धौला कुआं रिज जमीन पर है. बता दें कि रिज की जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है.
रिज जमीन पर थी महरौली की मस्जिद
डीडीए ने इससे पहले महरौली में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत मस्जिद को ढहा दिया था. प्राधिकरण का कहना था कि रिज बोर्ड की ओर से उन्हें 700 साल पुरानी मस्जिद को ढहाने का निर्देश मिला था. इसके बाद DDA की ओर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था. हालांकि, सदियों पुरानी मस्जिद को ढहाने से बखेड़ा खड़ा हो गया. स्थानीय लोगों और मुस्लिम समुदाय की ओर से प्राधिकरण के कदम पर आपत्ति जताई गई थी. डीडीए ने आननफानन में मस्जिद का मलबा भी हटा दिया था.
बाराखंबा का मकबरा
कुछ दिनों पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को डकैती के समान बताते हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) से निगरानी बनाए रखने के लिए ड्रोन और उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों और अन्य तकनीक का उपयोग करने को कहा है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के पास अनधिकृत निर्माण पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि अधिकारियों द्वारा ‘कर्तव्य निर्वहन में गंभीर चूक’ की गई, जिन्होंने पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सूचना मिलने के बावजूद कदम नहीं उठाया.