AI से जान बचा रही है यूपी पुलिस! सुसाइड वाली पोस्ट पर Meta भेज रहा अलर्ट

AI मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस. आम तौर पर AI का जिक्र साइबर फ्रॉड को लेकर होता रहा है. लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि इसकी मदद से यूपी में सैकड़ों लोगों की जान बच गई है. वो भी बस साल भर में. ये सब लोग किसी न किसी बहाने आत्महत्या करना चाहते थे. लेकिन समय रहते यूपी पुलिस की टीम उन तक पहुंच गई और जान बच गई. कुछ केस ऐसे भी रहे जब पुलिस की टीम समय पर नहीं पहुंच पाई.
मेटा कंपनी और एसटीएफ की मदद से अब तक पांच सौ से भी अधिक लोगों की जान बचाई गई है. यूपी पुलिस की देखादेखी राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में भी अब ये मॉडल लागू हो गया है.
AI ने 22 साल की लड़की को खुदकुशी से बचाया
एक लड़की ने साड़ी को फंदा बना लिया. फिर अपने बेड रूम के पंखे से लटक गई. पहले छोटा सा वीडियो बनाया. फिर उसे अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया. पोस्ट होते ही मेटा कंपनी की तरफ से यूपी पुलिस के सोशल मीडिया लैब को एलर्ट मिला. जिसे एसटीएफ को दिया गया. एसटीएफ ने लोकेशन दिया. फिर पुलिस की टीम लड़की के घर पहुंच गई. जब टीम पहुंची तो वो पंखे से फंदा लगा कर लटक चुकी थी. उसके अस्पताल ले जाया गया. अब उसकी हालत बेहतर है. बताते हैं कि 22 साल की लड़की ने जिससे प्यार किया, उससे धोखा मिला. इसीलिए वो खुदकुशी करना चाहती थी.
सुसाइड वाली पोस्ट पर Meta भेजता है अलर्ट
मेटा कंपनी के हेडक्वार्टर द्वारा पुलिस हेडऑफिस के सोशल मीडिया सेंटर को तत्काल फोन और ई-मेल के माध्यम से अलर्ट भेजा जाता है. दरअसल कोई व्यक्ति जैसे ही खुदकुशी से जुड़ा कोई पोस्ट इंस्टाग्राम या फिर फेसबुक पर पोस्ट करता है, मेटा कंपनी को पता चल जाता है. यूपी पुलिस के सोशल मीडिया सेंटर में मेटा कंपनी से मिले अलर्ट का संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही हेतु अलग से डेस्क 24X7 कार्यरत है. इस डेस्क से यूपी एसटीएफ के सर्वर का इन्टीग्रेशन किया गया है जिसकी मदद से ऐसी पोस्ट करने वाले की करेंट लोकेशन लेकर यूपी-112 के साथ-साथ सम्बन्धित जिले को भी अलर्ट कर दिया जाता है.
यूपी पुलिस के हेडक्वार्टर से पीड़ित के मोबाइल की दी गई लोकेशन पर यूपी-112 की PRV और लोकल पुलिस पीड़ित और उसके परिवार से सम्पर्क करती है. इस व्यवस्था की शुरुआत के बाद 01 जनवरी 2023 से 31 अगस्त 2024 तक मेटा कंपनी से लगभग 835 अलर्ट मिले. जिनमें से 513 लोगों की जान बचाई गई. बाकी के केस में लोकेशन क्लियर नहीं रही. कुछ मामलों में घनी बस्ती मे होने और फोन स्विच ऑफ होने के कारण स्थानीय पुलिस, पीड़ित तक नहीं पहुंच पायी.
यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि हमारे इस सिस्टम को जानने के लिए हाल में ही दो राज्यों की पुलिस में संपर्क किया है. हम इस प्रयास में हैं कि नेशनल लेवल पर इसका एक इंटीग्रेटेड मॉडल तैयार हो.

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