AIIMS NCI झज्जर में मरीजों का इलाज टॉप क्लास ,लेकिन रिसर्च में फिसड्डी, ये है बड़ी वजह
दिल्ली एम्स के बारे में अधिकतर लोग जानते ही हैं, लेकिन एम्स का ही एक दूसरा संस्थान हरियाणा के झज्जर जिले में भी है. इसको एम्स का राष्ट्रीय कैंसर संस्थान ( (AIIMS NCI) कहते हैं. इस संस्थानमें कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है. दिल्ली एम्स से भी यहां मरीज भेजे जाते हैं. यह देश में कैंसर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल और रिसर्च सेंटर है. यहां कैंसर के इलाज के लिए हर प्रकार की सुविधा मौजूद है. सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी भी होती है. एनसीआई में कैंसर मरीजों के इलाज के अलावा रिसर्च का काम भी किया जाता है. इसके लिए यहां एक रिसर्च ब्लॉक भी बना हुआ है, इमारत तो काफी बड़ी खड़ी है, लेकिन जिस स्तर का रिसर्च यहां होना था वह फिलहाल हो नहीं पा रहा है. इसका कारण यह है कि एम्स एनसीआई इसको शुरू करने के लिए फंड का इंतजार कर रहा है. जब पैसा आएगा तभी रिसर्च का काम बड़े स्तर पर हो सकेगा.
साल 2022 में एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में एक घोषणा की थी. इसमें उन्होंने कहा था की एम्स (एनसीआई) झज्जर में डीबीटी-एनसीआई एम्स ट्रांसलेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर बनेगा. इस सेंटर में कैंसर प्रबंधन के लिए एक ट्रांसलेशनल रिसर्च हब विकसित किया जाएगा. प्रोफेसर गुलेरिया ने कहा था कि रिसर्च हब को बनाने के लिए 2022 में 40CR की धनराशि एम्स को डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT)-भारत सरकार द्वारा दी जाएगी. डॉ. गुलेरिया ने कहा था कि ट्रांसलेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर एक अप्रूव्ड प्रोजेक्ट है. इसकी जनराशि आने के बाद रिसर्च का काम शुरू हो जाएगा.
रिसर्च ब्लॉक तो मौजूद, नहीं है डीबीटी ट्रांसलेशनल सेंटर
TV9 ने एम्स झज्जर का दौरा किया. इस दौरान वहां रिसर्च ब्लॉक तो मिला, लेकिन उसमें डीबीटी एम्स- इंडिया ट्रांसलेशनल एंड क्लिनिकल रिसर्च पार्टनरशिप सेंटर नहीं था. यह सेंटर एनसीआई के रिसर्च ब्लॉक में आना था, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. इस सेंटर के शुरू न होने के कारण के बारे में हमने एम्स दिल्ली में बातचीत की.
एम्स दिल्ली की मीडिया प्रभारी प्रोफेसर रीमा दादा ने बताया कि डीबीटी-एनसीआई एम्स ट्रांसलेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर के लिए एम्स को अभी धनराशि नहीं मिली है. इस कारण रिसर्च ब्लॉक में यह सेंटर नहीं बन पाया है. हालांकि एम्स झज्जर की लैब में मोलिक्यूलर टेस्ट किए जा रहे हैं और कुछ सैंपलों को दिल्ली एम्स भी भेजा जाता है.
एम्स झज्जर के हेड डॉ. आलोक ठक्कर से भी हमने इस मामले पर बातचीत की तो उन्होंने दावा किया कि संस्थान में कई प्रकार के रिसर्च कार्य चल रहे हैं.
डीबीटी ने क्यों जारी नहीं किया फंड
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) के सेक्रेटरी डॉ. राजेश एस गोखले से बातचीत की. उन्होंने कहा कि डीबीटी-एनसीआई एम्स ट्रांसलेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. इतने बड़े प्रोजेक्ट को पास करने और जनराशि जारी करने के लिए कई चरणों में काम किया जाता है. सभी आधिकारिक आवश्यकताएं पूरी होने के बाद ही पैसा जारी किया जाता है. अभी इस प्रोडेक्ट की धनराशि आवंटित करने के लिए जरूरी कार्रवाई की जा रही है. जैसे ही यह पूरी होती है फंड जारी कर दिया जाएगा.
फंडिग मिलने के बाद क्या क्या काम हो सकेगा
एनसीआई झज्जर को डीबीटी से फंड मिल जाता है तो एनसीआई में काफी काम हो सकेगा. कैंसर प्रबंधन और रोकथाम के लिए किफायती टेस्ट का विकास होगा. इससे ट्रांसलेशनल कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्टर की सुविधा मिलेगी. इससे कैंसर का समय पर पता चल सकेगा और मरीज का इलाज भी शुरुआती चरण में हो सकेगा. इससे कैंसर के दौरान होने वाली मौतों को कम करने में मदद मिलेगी, कैंसर के खिलाफ वैक्सीन का काम भी किया जााएगा.