Air Pollution : वायु प्रदूषण से कौन से अंग होते हैं खराब, कैसे बनता है ये मौत का कारण

Air Pollution and deaths : किसी भी तरह के विकास के लिए एक कीमत चुकानी पड़ती है और विकास की कीमत है बढ़ता प्रदूषण है. सड़के बन रही हैं तो उनकी वजह से पेड़ कट रहे हैं जिनसे प्रदूषण बढ़ रहा है. आबादी बढ़ रही है तो वाहन भी बढ़ रहे हैं. वाहनों से निकलने वाले धुंआ हवा में जहर घोल रहा है. यह लगातार बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. हर साल इसकी चपेट में आकर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों को लेकरहाल ही में मेडिकल जर्नल द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है.
इस रिसर्च में बताया गया है कि देश के 10 शहरों में वायु प्रदूषण से हर साल 33 हजार लोगों की मौत हो रही है. भारत के क्लीन एयर नोम्स भी WHO के मुताबिक नहीं है. प्रदूषण का स्तर लगभग पूरे साल ही बढ़ा रहता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, कोलकाता, शिमला और वाराणसी में प्रदूषण से लोगों की मौत हो रही है.
इस रिपोर्ट के बाद यह सवाल उठता है कि वायु प्रदूषण से किसी की जान कैसे चली जाती है? वायु प्रदूषण कौन से अंग खराब करता है और इससे कैसी बीमारियां होती हैं. यह जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है. आइए जानते हैं.
वायु प्रदूषण कैसे करता है इंसान पर असर?
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और कैंसर सर्जन डॉ. अंशुमान कुमारबताते हैं कि वायु प्रदूषण जन्म से लेकर जिंदगी के आखिरी दिन तक इंसान पर प्रभाव डालता है. जब कोई व्यक्ति मां के पेट में होता है तभी से उसके शरीर पर वायु प्रदूषण का असर होने लगता है और अंतिम समय तक इसका प्रभाव शरीर पर रहता है . जिन इलाकों में वायु प्रदूषण अधिक होता है वहां ऐसा होता है.
गर्भवती महिला में सांस के जरिए प्रदूषण के कण शरीर में चले जाते हैं. इसके बाद ये कण प्लेसेंटा की सुरक्षा को पार करते हुए भ्रूण के अंगों में भी जगह बना रहे हैं. ये कण बच्चे के शरीर में चले जाते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं. जन्म के बाद ही प्रदूषण के प्रभाव के कारण कई बीमारियां होने लगती हैं. ये बीमारियां आगे चलकर मौत का कारण बनती हैं.
वायु प्रदूषण से कौन सी बीमारियां होती हैं
डॉ. अंशुमान बताते हैं किवायु प्रदूषण शरीर के कई अंगों पर एक साथ असर करता है. इसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर होता है. इससे लंग्स कैंसर हो जाता है. प्रदूषण के कारण नॉन स्मॉल लंग्स कैंसर, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा होता है. हर साल ऐसे कई केस देखने को मिलते हैं जिनमें स्मोकिंग को कोई हिस्ट्री नहीं होती है, लेकिन फिर भी वो लोग लंग्स कैंसर का शिकार हो जाते हैं. इसका कारण वायु प्रदूषण ही होता है.
वायु प्रदूषण हार्ट पर भी असर करता है. इससे हार्ट की बीमारियों का भी रिस्क होता है. प्रदूषण में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और ये ब्लड में भी जा सकते हैं. इससे हार्ट की आर्टरीज में सूजन आने के साथ कुछ मामलों में ब्लॉकेज की समस्या भी हो सकती है. जो बाद में हार्ट अटैक का कारण बनती है. वायु प्रदूषण डायबिटीज और बांझपन जैसी बीमारियों का भी कारण बनता है.
किन लोगों पर ज्यादा असर?
डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि वायु प्रदूषण का असर हर व्यक्ति पर ही होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों में इससे ज्यादा परेशानी होती है. प्रदूषण सांस की कई बीमारियों का भी कारण बनता है. इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी की बीमारी होने का रिस्क रहता है.
ये तीनों ही सांस की खतरनाक बीमारियां हैं और बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी पर असर करती हैं.अगर किसी को पहले से ही अस्थमा है तो प्रदूषण के संपर्क में आने से ये बीमारी काफी बढ़ जाती है. देखा भी जाता है कि जिस दौरान वायु प्रदूषण का लेवल बढ़ा रहता है तब अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी के मामले काफी बढ़ जाते हैं. वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों बच्चे अस्थमा जैसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं.
कैसे करें कंट्रोल
दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ एलएच घोटकर बताते हैं कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी नीति बनानी होगी. पैट्रोल और डीजल वाहनों का यूज कम करना होगा. जिस कंपनियों से प्रदूषण होता है वहां पर भी इसकी रोकथाम के लिए काम करने की जरूरत है. प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए लोगों और सरकार को साथ मिलकर काम करना होगा.

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