Air Pollution and Diabetes : बढ़ता वायु प्रदूषण डायबिटीज का बना सकता है शिकार, ऐसे बढ़ाता है शुगर लेवल

दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण के कारण हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात है. प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत बिगड़ रही है. अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीजों की भीड़ लगी है. पॉल्यूशन का बढ़ा हुआ लेवल सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है. इससे अस्थमा और लंग्स कैंसर बीमारी का रिस्क होता है. खराब हवा की वजह से हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ सकते हैं. चिंता की बात यह है कि पॉल्यूशन के कारण लोग डायबिटीज तक का शिकार हो सकते हैं. खराब हवा शरीर में शुगर के लेवल को बढ़ा सकती है.
डायबिटीज एक जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है जो तब होती है जब शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है. आईसीएमआर के मुताबिक, भारत में इस बीमारी के 10 करोड़ से अधिक मरीज हैं. ये बीमारी दो प्रकार की होती है. एक टाइप-1 जो जेनेटिक कारणों से होती है. दूसरी टाइप-2 जो खराब लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों के कारण होती है. बीते कुछ सालों से भारत में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब कम उम्र में भी ये डिजीज हो रही है. बढ़ता मोटापा भी इस बीमारी के होने का एक बड़ा कारण है.
प्रदूषण से कैसे होती है डायबिटीज?
थेराप्यूटिक एडवांसेज इन एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन से यह पता चला है कि वायु प्रदूषण से डायबिटीज विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है. पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक आपके शरीर के शुगर लेवल को कंट्रोल करने की क्षमता में पर गंभीर असर डालते हैं, ये खून में मिल जाते हैं, जिससे इंसुलिन रजिस्टेंस हो सकता है. इससे शरीर के लिए शुगर लेवल को कंट्रोल करना मुश्किल होता है. इससे टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क होता है.
प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 के छोटे-छोटे कण फेफड़ों में जाते हैं और वहां जाकर जम जाते हैं. इससे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोधकता बढ़ती है. इसी तरह प्रदूषण में मौजूद ओजोन (O3) से भी सांस की नली पर दबाव पड़ता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. पॉल्यूशन में मौजूद
वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स भी ब्लड में घुलकर इंसुलिन रजिस्टेंस करते हैं. ये भी शुगर लेवल बढ़ने का एक कारण बन सकता है.
प्रदूषण से इन बीमारियों का भी खतरा
थेराप्यूटिक एडवांसेज इन एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की रिसर्च में बताया गया है कि जिन इलाकों में एक्यूआई 400 से अधिक होता है. वहां प्रदूषण के कारण डायबिटीज होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है. प्रदूषण की वजह से सांस की कई तरह की बीमारियां जैसे अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस का रिस्क भी होता है. प्रदूषण के कारण आंखों के रैटिना तक पर असर पड़ सकता है. इससे आंखों में जलन, पानी आना और आंखों के लाल होने की समस्या हो सकती है. पॉल्यूशन शुगर लेवल को भी बढ़ा सकता है. ऐसे में जिन इलाकों में एक्यूआई ज्यादा है वहां लोगों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत है.
प्रदूषण से बचाव कैसे करें
बिना वजह बाहर निकलने से बचें
घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं
बाहर जाने से पहले एन-95 मास्क लगाएं
खानपान का ध्यान रखें
बाहर की जगह घर में ही हल्की एक्सरसाइज करें

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