Alcohol: एक दो पैग शराब से भी आपके शरीर को हो सकता है नुकसान, शोध में हुआ खुलासा
साल का अंत होने को आया है. कई लोग ऐसे होंगे जो आने वाले नए साल में कुछ संकल्प सोचेंगे और उसको अपने जीवन में शामिल करेंगे. बहुत से लोगों को शराब पीने की लत होती है. ऐसे लोग भी शायद शराब पीने की लत को छोड़ने का प्रयास करेंगे.
अधिकतर मामलों में लोगों को लगी शराब की लत छूट नहीं पाती है. ऐसा क्यों होता है कि किसी को शराब की लत लग जाती है? जबकि सब शुरूआत एक पेग से ही करते हैं. शुरूआत में सबको यही लगता है कि उन्हें इसकी लत नही लगेगी, फिर क्यों लोग इसके आदी हो जाते हैं.
आज इस खबर के जरिए हम आपको बताएंगे कि शराब की लत लगती कैसे है. आज हम आपको इसके पीछे का वैज्ञानिक तथ्य भी बताएंगे. अगर आपने भी शराब छोड़ने का संकल्प लिया हुआ है तो यह एक अच्छा कदम है. इसके लिए आपका मोटीवेट होना भी बहुत जरुरी है. आज अपनी इस खबर के जरिए हम आपके निर्णय को मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे ताकि आप अपने स्वास्थ के साथ खिलवाड़ न करे.
नए शोध में हुआ खुलासा
एक नए अध्ययन से पाया गया है कि शरीर में शराब का संपर्क स्थायी रूप से तंत्रिका कोशिकाओं के आकार को बदल सकता है. यह बदलाव शराब की लत का एक बड़ा कारण बन जाता है. आपने शायद न्यूरॉन्स का नाम जरूर सुना होगा. यह हमारे मष्तिस्क की सबसे छोटी और महत्वपूर्ण इकाई होती है.
बाहरी दुनिया के संदेश दिमाग की इसी इकाई से संबंधित होते हैं. यह दुनिया से संवेदी इनपुट प्राप्त करके तुरंत मष्तिष्क को सूचना देती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, शराब सिनैप्स (Synapses) की संरचना के साथ-साथ माइटोकॉन्ड्रिया की गतिशीलता को भी प्रभावित करती है. माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका के पावरहाउस के नाम से जाना जाता है. सिनैप्स न्यूरॉन्स के बीच संपर्क के बिंदु होते हैं जहां पर सूचना का प्रसार एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक होता है.
ऐसे हुआ अध्ययन
अध्यन को जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छापा गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन में फ्रूट फ्लाई के जेनेटिक मॉडल सिस्टम का उपयोग किया गया.
इस अध्ययन में पाया गया कि सिनेप्स में माइटोकॉन्ड्रिया के प्रवास में बदलाव के कारण शराब का फायदेमंद प्रभाव भी कम हो गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि इन निष्कर्षों से पता चलता है कि शराब पीने की एक भी घटना शराब की लत का कारण बन सकती है.
इस शोध में फ्रूट फ्लाई और चूहों के जेनेटिक मॉडल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है ताकि वैज्ञानिक दो क्षेत्रों में इथेनॉल से प्रेरित परिवर्तनों के बारे में समझ पाए. इससे यह पता चलेगा कि इथेनॉल की जरा भी पहुंच होगी तो माइटोकॉन्ड्रिया की गति में जरूर गड़बड़ी होगी.
माइटोकॉन्ड्रिया में अगर गड़बड़ी हुई तो तंत्रिका कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं मिल पाएगी और इससे माइटोकॉन्ड्रियल गतिशीलता और न्यूरॉन्स में सिनेप्स के बीच का संतुलन अस्थाई हो जाएगा
इस प्रकार इस शोध का निष्कर्ष बताता है कि शराब का सेवन आपके मष्तिस्क पर इन रूपों से प्रहार कर के आपके व्यवहार में बड़ा बदलाव लाता है. यह आपके दिमाग को सूचना पहुंचाने वाली कोशिकाओं को ही वह धीरे-धीरे अपने काबू में करने लगता है, यहीं कारण है कि आप शराब नही छोड़ पाते हैं.
अगर आप इस आदत को छोड़ना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए पहले अपने दिमाग को पूरी तरह तैयार करना होगा और यह धीरे-धीरे कम करने से होगा.