‘चुनाव के बाद सभी विपक्षी दल आएंगे साथ’, इंडी गठबंधन में प्रधानमंत्री के चेहरे पर शशि थरूर
विपक्षी गठबंधन की एकजुटता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। वहीं इस गठबंधन में प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर राजनीति जारी है। इस बीच, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने साफ कर दिया कि एक साथ या एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे विपक्षी दल लोकसभा चुनाव के बाद साथ आ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन की सरकार में लोगों को ऐसा प्रधानमंत्री मिलेगा, जो सबको समान भाव से देखता हो और दूसरों की बात सुनता हो।
डर की कोई बात नहीं
थरूर ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि गठबंधन सरकार को लेकर डर की कोई बात नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि एक पार्टी की सरकारों की तुलना में ऐसी (गठबंधन) सरकारों के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर होता है। यह बदलाव का चुनाव है और भाजपा ने विमर्श पर अपनी पकड़ खो दी है।
निमंत्रण को अस्वीकार करना सही था
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य थरूर ने अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होने के पार्टी के फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि निमंत्रण को अस्वीकार करना सही था क्योंकि यह प्रधानमंत्री मोदी के महिमामंडन के लिए आयोजित एक राजनीतिक समारोह था।
उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार से अगर हमने ऐसा किया होता तो यह एक गलती होती। एक विशुद्ध राजनीतिक फैसले के तौर पर देखें तो यह सही फैसला था।’ उन्होंने कहा कि यह सच है कि गठबंधन सरकार एकदलीय सरकार से बहुत अलग तरह से काम करती है।
बीते 10 वर्ष से अलग होगी विपक्षी गठबंधन की सरकार
उन्होंने कहा, ‘मोदी की शैली, उनके व्यक्तित्व और भाजपा के शासन के तरीके को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह कहना उचित होगा कि यह (विपक्षी गठबंधन की सरकार) बीते 10 वर्ष की इस सरकार से बहुत अलग होगी। गठबंधन सरकारों के साथ भारत की जनता का रिकॉर्ड और अनुभव काफी अच्छा रहा है।’
थरूर ने कहा, ‘गठबंधन सरकार का एक लाभ यह होगा कि जो भी प्रधानमंत्री बनेगा वह निरंकुश प्रवृत्ति का नहीं होगा… उसे दूसरों को ध्यान में रखना होगा। सच कहूं तो, यह शासन की संसदीय प्रणाली का उत्कृष्ट राजनीतिक सिद्धांत है। अभी हम कई देशों में राष्ट्रपति के तहत चलने वाली संसदीय व्यवस्था देख रहे हैं, जो बहुत खराब है।’
पहली बार एक ऐसा प्रधानमंत्री मिलेगा…
उन्होंने कहा, ‘यदि विपक्षी गठबंधन की सरकार बनी तो लंबे समय के बाद पहली बार एक ऐसा प्रधानमंत्री मिलेगा, जो सबको समान रूप से देखता हो, दूसरों की बात सुनता हो, उनकी बात पर गौर करता हो और अच्छा प्रबंधक हो। मुझे लगता है। गठबंधन सरकार को लेकर डर की कोई बात नहीं है। मैंने जिन मतदाताओं से बात की उनमें से अधिकतर की सोच थी कि मैं जिस उम्मीदवार को वोट दे रहा हूं वह कौन है, वह किन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है, उसके जीतने से दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी और वह सरकार कैसे काम करेगी।’
केरल में कांग्रेस और वाम दलों के बीच टकराव को लेकर इंडी गठबंधन में उपजे विरोधाभासों और इससे एकजुट सरकार के गठन में बाधा आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और उससे पहले वाजपेयी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी तो चुनाव के बाद बना था।
उन्होंने कहा, ‘आखिरकार जब चार जून को मतगणना होगी तो मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि तृणमलू समेत ये सभी दल, चाहे वे एक साथ या एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे हों, नतीजे हमारे पक्ष में आने पर साथ आ जाएंगे।’