अमित शाह ने शुरू की तैयारी, सेट किया ‘मिशन 2024’ का जीत वाला प्लान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मात देने के लिए विपक्ष दलों की ओर से INDIA गठबंधन के सहारे कड़ी चुनौती देने की कोशिश की जा रही है. हालांकि सीट शेयरिंग को लेकर मामला अभी भी अटका हुआ है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावी तैयारी में गठबंधन से काफी आगे दिख रही है. बीजेपी को हमेशा से चुनावी मोड़ में रहने वाली पार्टी कहा जाता है और यह सही भी है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी हर छोटे चुनाव में भी कड़ी मक्कशत करती है. लोकसभा चुनाव के लिए अमित शाह ने 2024 का प्लान भी तैयार कर लिया है और इसके लिए बीजेपी ने बड़े स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है.
अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और ससंद का सत्र भी एक दिन ही पहले खत्म हो चुका है. मिशन 2024 की तैयारियों को अमलीजामा पहनाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा आज से लेकर कल तक दो दिन की मैराथन बैठक में बीजेपी मुख्यालय में राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ कर रहे हैं. वहीं बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह कल (23 दिसंबर) जेपी नड्डा के साथ राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश अध्यक्षों और प्रदेश संगठन मंत्रियों के साथ मीटिंग करके उन्हें मिशन 2024 की तैयारियों के बारे में समझाएंगे.
2024 में जीत का प्लान?
अमित शाह के 2024 विजय प्लान के तहत वह करीब सवा महीने तक अलग -अलग राज्यों का दौरा करेंगे और वहां पर जाकर संगठन के नेताओं के बंद कमरों में बैठक करेंगे. इन बैठकों के जरिए बीजेपी की राज्य स्तर की यूनिटों को पूरी तरह से एक्टिवेट कर दिया जाएगा. यहीं नहीं 2024 के लिए प्रदेश के नेता क्या सोचते हैं, इसको लेकर भी चर्चा होगी. यहां पर अमित शाह राज्य के नेताओं से मौजूदा सांसदों के काम और जनता के बीच उनकी छवि की भी जानकारी लेंगे. कहा जाता रहा है कि यह लोकसभा सीटों के लिए होने वाले टिकट बंटवारे में भी काम आएगी.
वैसे तो मिशन 2024 के तहत अमित शाह देशभर के राज्यों का दौरा करेंगे, लेकिन उनका सबसे ज्यादा फोकस दक्षिण भारत पर रहेगा. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि बीजेपी के लिए दक्षिण भारत का किला अभी तक अछूता रहा है. यहां पर अभी तक दो राज्य ऐसे हैं, जहां पर उसके पास सांसदों की संख्या है. इनमें पहला कर्नाटक (25) और दूसरा तेलंगाना (4) है. दक्षिण भारत में बीजेपी का सबसे बड़ा लक्ष्य तेलंगाना में सीटों को बढ़ाना और कर्नाटक में अपनी सीटों को बचाना रहेगा. इसके साथ ही केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बीजेपी के पास कोई सीट नहीं है और वह मिशन 2024 के तहत इन राज्यों में अपनी उपस्थिति बड़ी संख्या में दर्ज कराना चाहती है.
दक्षिण भारत पर फोकस क्यों?
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के लिए 2024 का चुनाव हार और जीत का नहीं बल्कि पिछली बार के 303 सीट से ज्यादा का आंकड़ा पार करना है. दक्षिण के 6 राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं, लेकिन बीजेपी के पास यहां से महज 29 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में आंध्र प्रदेश की 25 सीटों में बीजेपी खाता भी नहीं खोल पाई थी, यहां पर YSRCP को 22 और शेष 3 सीटें TDP जीतने में कामयाब रही थी. तमिलनाडु में भी बीजेपी का कुछ ऐसा ही हाल था, जहां की 39 सीटों में उसे एक भी नहीं मिली, लेकिन एनडीए गठबंधन को एक सीट मिली थी. DMK ने यहां पर पूरी तरह से सफाया करते हुए 38 सीटों पर कब्जा जमा लिया था.
हालांकि कर्नाटक की 28 सीटों में से बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज करते हुए 25 पर कब्जा किया था, लेकिन उस समय वहां पर बीजेपी की सरकार है और आज कांग्रेस की. ऐसे में उसके लिए कर्नाटक में अपने प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करती पड़ेगी. केरल में लोकसभा की 20 सीटें हैं और यहां पर कांग्रेस ने 16, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 2, केरला कांग्रेस (M) एक और सोशलिस्ट पार्टी ने एक सीट जीती थी. इस बार बीजेपी चाहती है कि केरल में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाए जोकि उसके लिए आसान नहीं होगी.
तेलंगाना का परिणाम उसके लिए थोड़ा राहत भरा रहा, क्योंकि यहां पर लोकसभा की 17 सीटों में से बीजेपी को 4 पर जीत मिली थी, जबकि बीआरएस को 9, कांग्रेस को 3 सीटें मिली जबकि एआईएमआईएम के खाते में एक सीट आई थी. लेकिन इस बार उसको यहां पर कड़ी चुनौती देखने को मिलेगी. 2019 के चुनावों में यहां पर कांग्रेस ने एक अतिरिक्त सीट जीतकर बदलाव की स्क्रिप्ट लिख दी थी, जिसको 2023 में रेवंत रेड्डी की अगुवाई में साकार करते हुए पार्टी ने विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की.
दक्षिण में बीजेपी की ऐसी हालत क्यों?
जानकार कहते हैं कि बीजेपी को पश्चिम और उत्तर भारत की पार्टी माना जाता है. इसके साथ ही जिन मुद्दों को लेकर बीजेपी राजनीति करती है, वह दक्षिण भारत में अभी तक पॉपुलर नहीं हुई है. बीजेपी यहां पर लोकल लेवल पर कमजोर है और इसीलिए उनको वोट नहीं मिलते.
वैसे बीजेपी अब यह स्थिति बदलना चाहती है और इसके लिए पूरी ताकत से प्रयास भी कर रही है. तेलंगाना में विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक बीजेपी का असर दिखा और वहां पर उसकी सीटें भी बढ़ी हैं. बीजेपी अब तेलंगाना वाली रणनीति के साथ दूसरे राज्यों में उतरने का मन बना रही है.