असदुद्दीन ओवैसी ने ASI को बताया ‘हिंदुत्व की दासी’, कहा-सर्वे रिपोर्ट महज अनुमान पर आधारित

ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के पिलर हिंदू मंदिर के लगते हैं. साथ ही यह भी दावा किया गया कि 34 जगहों पर देवनागरी, कन्नड़, तेलुगू शिलालेख मिले हैं. इससे पता चलता है कि मंदिर के ही हिस्से को मस्जिद बनाने में इस्तेमाल हुआ है. अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एएसआई की इस रिपोर्ट की आलोचना करते हुए संगठन को “हिंदुत्व की दासी” करार दिया और कहा कि रिपोर्ट महज अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मजाक उड़ाया गया है.

सोशल मीडिय प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में, ओवेसी ने कहा, “यह प्रोफेशनल पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में खड़ा नहीं होगा. रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मजाक उड़ाती दिखती है. जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था ‘एएसआई हिंदुत्व की दासी है’.

839 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट

इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की ओर से कल गुरुवार को दावा किया कि एएसआई को मस्जिद के अंदर हिंदू मंदिर से जुड़े बड़े अवशेष मिले हैं. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को 839 पन्नों का दस्तावेज दिए जाने के कुछ मिनट बाद जैन ने भी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी, हालांकि कोर्ट ने दोनों पक्षों को रिपोर्ट के विवरण सार्वजनिक रूप से प्रकट करने से रोक दिया था.

रिपोर्ट में कहा गया है, “वैज्ञानिक अध्ययन और सर्वेक्षण, वास्तुशिल्प अवशेषों, वहां मौजूद कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों को लेकर अध्ययन के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले यहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था.”

औरंगजेब के दौर में तोड़ा गया मंदिर- रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था. रिपोर्ट बताती है कि एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फारसी शिलालेख में जिक्र मिलता है कि मस्जिद औरंगजेब के 20वें शासनकाल में बनाई गई थी. हिंदू मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया था. इसमें आगे कहा गया है कि मस्जिद के निर्माण के लिए घंटियों से सजाए गए खंभे, दीपक रखने के लिए ताक और मंदिर के शिलालेखों का फिर उपयोग किया गया.

एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “कला और वास्तुकला के आधार पर, इस पहले से मौजूद संरचना को एक हिंदू मंदिर के रूप में पहचाना जा सकता है.”

दूसरी ओर, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति का कहना है कि उसे अभी एएसआई रिपोर्ट का अध्ययन करना बाकी है.

ज्ञानवापी विवाद दशकों पुराना मामला है, लेकिन अगस्त 2021 में, पांच महिलाओं ने एक स्थानीय अदालत में याचिका दायर कर परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर निर्बाध पूजा के अधिकार की मांग की, जिसमें हिंदू देवताओं की मूर्तियां हैं.

सर्वे के लिए 11 लोगों ने किए आवेदन

जिला अदालत की ओर से पिछले साल जुलाई में यह तय करने के लिए सर्वेक्षण का आदेश पारित करने के बाद कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था, एएसआई ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण किया.

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने अदालत में आवेदन किया था. इससे पहले, हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया था कि वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश ने केस के पक्षकारों को सर्वे की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने का आदेश दिया था.

हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से लगातार यह दावा किया जाता रहा है कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था जिसके बाद अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था. एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी थी.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *