ऑस्ट्रेलिया में मिली नौकरी, खुशी-खुशी पहुंचा एयरपोर्ट, दोस्त के धोखे ने बदली किस्मत, सबकुछ गवां जाना पड़ गया जेल
वंश का तन बदन आज भी उस पल को सोच कर सिहर उठता है, जिस पल उसकी दोस्ती रितेश से हुई थी. वंश ने सपने में भी कभी यह नहीं सोंचा होगा कि उसकी भलाई का स्वांग रचने वाला उसका यह नया दोस्त उसकी बर्बादी की वजह बन जाएगा. दरअसल, यह कहानी करीब एक साल पहले सोनीपत (हरियाणा) के कामी गांव से शुरू हुई थी. वंश का बचपन से एक ही सपना था कि वह विदेश जाकर अपने सपनों की हर हसरत पूरी कर सके. उसकी यह हसरत उस वक्त उसके दिलोदिमाग में हावी होने लगती, जब उसे अपने दोस्त रितेश का ख्याल आ जाता ।
दरअसल, मलेशिया में रहने वाला उसका दोस्त रितेश हमेशा गांव के नौजवानों के सामने विदेश की शानदार जिंदगी और अपनी पहुंच के डींगे हांकता था. रितेश को जब पता चला कि वंश भी विदेश जाने के बारे में सोच रहा है तो उसने उसे जाल में फंसाने का फैसला कर लिया. समय के साथ रितेश ने वंश को इस बात का भरोसा दिला दिया था कि वह उसे उसके सपनों के देश ऑस्ट्रेलिया भेजा सकता है. चूंकि रितेश विदेश में रहता था, लिहाजा वंश को उसके बातों पर बेहद आसानी से भरोसा हो गया था. वंश को पूरी तरह से काबू करने के बाद रितेश ने उसके सामने 13 लाख रुपए की मांग रख थी.
13 लाख रुपए में तय हुई ऑस्ट्रेलिया भेजने की डीलआईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, वंश के दिमाग में विदेश जाने का सपना पूरी तरह से हावी हो चुका था, लिहाजा वह 13 लाख रुपए देने के लिए राजी भी हो गया. वंश में तीन लाख रुपए रितेश के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए और ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद बाकी की रकम का भुगतान करने की बात तय हुई. रुपए मिलने के बाद वंश ने असल साजिश को अंजाम देना शुरू किया. उसने वंश को एक नई कहानी सुनाई और उसे मलेशिया के रास्ते ऑस्ट्रेलिया भेजने का भरोसा दिला दिया. वंश बीते साल 27 जनवरी को बेंगलुरु एयरपोर्ट से टूरिस्ट वीजा पर थाईलैंड के लिए रवाना हो गया.