अयोध्या की अर्थकथा… धर्म और धंधे के पहिये पर सवार विकास की गाड़ी
अयोध्या वैसे तो एक छोटा जिला है, लेकिन इसका इतिहास वृहद है. हिन्दू धार्मिक स्थलों में रामनगरी अयोध्या हमेशा से अहम रही है, लेकिन अब इसका भव्य और दिव्य रूप दुनिया के सामने आने वाला है.
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होना है. रामलला टेंट से गर्भगृह में विराजेंगे.
पिछले कुछ महीनों में अयोध्या और उसके आसपास के इलाकों का तेजी से कायाकल्प हुआ है. शहर की सभी गलियां भगवान राम के स्वागत में सजकर तैयार हैं. आर्थिक तौर पर भी अब अयोध्या देश के पटल पर तेजी से उभरा है. अयोध्या में राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के इर्द-गिर्द ही 50,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है.
दरअसल, हिन्दू धार्मिक स्थलों का विकसित होना, उसके आसपास कारोबार होना, स्थानीय अर्थव्यवस्था का आगे बढ़ना.. ये सभी सरकार के सहयोग से अयोध्या में संभव हो रहा है. अयोध्या में अब चौमुखी विकास ये दर्शाता है कि भारत में आध्यात्मिक पर्यटन का अर्थव्यवस्था में अहम स्थान रहने वाला है.
दिल खोलकर लोगों ने किया दान
अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, वो भी बिना किसी सरकारी मदद के. यानी मंदिर निर्माण का कार्य दान के पैसों से हो रहा है. देश के कोने-कोने से राम मंदिर के लिए दान में पैसे आए हैं. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को जितना अनुमान था, उससे ज्यादा राम भक्तों ने दान में दिए. राम मंदिर के प्रथम तल का निर्माण समर्पण निधि में मिले रुपयों के ब्याज से ही हो गया.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने 11 करोड़ लोगों से 900 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन लगभग चार गुना रकम दान में मिल गई. करीब 3200 करोड़ रुपये समर्पण निधि के रूप में आए और उसके ब्याज से ही प्रथम तल अब बनकर तैयार है, जिसका 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे.
करीब 18 करोड़ लोगों ने पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते में करीब 3,200 करोड़ रुपये (समर्पण निधि) जमा किए हैं. ट्रस्ट ने इन बैंकों में पैसे की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करा दी है, जिससे मिलने वाले ब्याज से ही मंदिर का वर्तमान स्वरूप तक का निर्माण हुआ है.