अजीम प्रेमजी द्वारा अपने बेटों को दिए गए ₹500 करोड़ के गिफ्ट पर कोई टैक्स क्यों नहीं लगता?
विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी ने अपने दोनों बेटों रिशद और तारिक को ₹500 करोड़ के 1 करोड़ से अधिक शेयर गिफ्ट में दिए. 78 साल के अजीम प्रेमजी के पास पिछले सप्ताह तक कंपनी के 22.58 करोड़ से अधिक शेयर थे. प्रेमजी ने अपने दोनों बेटों रिशद और तारिक प्रत्येक को 51,15,090 शेयर गिफ्ट किए हैं. लेकिन इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या परिवार के सदस्यों या बाहर के सदस्यों को इक्विटी शेयर गिफ्ट में देने पर कोई टैक्स लगता है. हालांकि गिफ्ट देने आ या लेने वालों के लिए इनकम टैक्स विभाग के अपने नियम हैं.
क्या हैं नियम
इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार एक फाइनेंशियल ईयर में 50 हजार रुपये तक के गिफ्ट पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता है. 50 हजार रुपये से ज्यादा के गिफ्ट पर टैक्स देना होता है. गिफ्ट पाने वाले को यह टैक्स भरना होता है. इन गिफ्ट में प्रॉपर्टी, गाड़ी, ज्वैलरी या शेयर हो सकते हैं. हालांकि कुछ लोगों के गिफ्ट देने पर टैक्स में छूट दी गई है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि गिफ्ट कौन दे रहा है.
इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार ‘रिलेटिव’ की कैटेगरी में गिफ्ट देने को टैक्स फ्री किया गया है. यह टैक्स किसी भी अमाउंट का हो सकता है. इस कैटेगरी में पत्नी, भाई-बहन, माता-पिता, बच्चे, समेत अन्य लोग भी ‘रिश्तेदार’ शामिल हैं. यही कारण है कि विप्रो के फाउंडर के इस गिफ्ट पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
विप्रो में किसके पास कितनी हिस्सेदारी
विप्रो के फर्स्ट फैमिली मेंबर्स के पास कंपनी के 4.43 फीसदी शेयर हैं. जहां प्रेमजी के पास 4.12 फीसदी शेयर हैं, वहीं उनकी पत्नी यास्मीन के पास 0.05 फीसदी शेयर हैं. उनके दोनों बेटों के पास 0.13 फीसदी हिस्सेदारी है. तीन पार्टनरशिप फर्म हाशम ट्रेडर्स, प्राज़िम ट्रेडर्स और ज़ैश ट्रेडर्स, सभी फैमिली फर्म्स के पास 58 फीसदी हिस्सेदारी है. अजीम प्रेमजी फिलैंथ्रोपिक इनिशिएटिव्स और अजीम प्रेमजी ट्रस्ट के पास 0.27 फीसदी और 10.18 फीसदी हिस्सेदारी है. हालांकि 1958 से अक्टूबर 1998 तक, डोनर्स के गिफ्ट पर टैक्स लगाया जाता था.
इस खामी को 2006 में प्राप्तकर्ताओं (recipients) के हाथों में प्राप्त ₹50,000 से अधिक के गिफ्ट को टैक्सेबल बनाकर बंद करने की मांग की गई थी. लेकिन एक बार फिर बेवजह इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 56(2)(v) में निर्मित इस दान-आधारित गिफ्ट टैक्स व्यवस्था को भी अप्रैल 2017 से समाप्त कर दिया गया. ऐसा नहीं था कि दान-आधारित गिफ्ट टैक्स व्यवस्था कठोर थी क्योंकि इसमें डोनर्स, जो दान देने वालों के रिश्तेदार हैं, को इनकम टैक्स से छूट दी गई थी.