UP के इन कर्मचारियों के लिए बुरी खबर, योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

शासन के पंचायतीराज विभाग ने प्रदेश के एक लाख सफाईकर्मियों को तगड़ा झटका दिया है। विभाग ने सफाईकर्मियों की पदोन्नति से संबंधित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

इससे सफाईकर्मियों में तगड़ी नाराजगी है। बसपा शासनकाल में वर्ष 2008 में राजस्व ग्राम स्तर पर चतुर्थ श्रेणी संवर्ग में सफाईकर्मियों की नियुक्ति की गई थी।

इसके लिए सफाईकर्मियों के 1,08,848 पद सृजित हुए थे। वर्तमान में करीब एक लाख सफाईकर्मी कार्यरत हैं। भर्ती के समय सफाईकर्मी के लिए शैक्षिक योग्यता साक्षर तय की गई थी। लेकिन, इन पदों पर बड़ी संख्या में उच्च योग्यता व प्रोफेशनल डिग्री, डिप्लोमाधारी युवाओं का चयन हुआ।

सफाई कर्मचारियों का सेवा संगठन पिछले एक दशक से संवर्ग के उच्च योग्यता वाले प्रतिभावान युवाओं को पदोन्नति का अवसर दिलाने के लिए सरकार से मांग कर रहा था। इसके लिए पंचायतीराज निदेशालय से लेकर शासन तक लंबा-विचार विमर्श हुआ।

निदेशालय ने अपनी स्पष्ट संस्तुति के साथ शासन को प्रस्ताव भेजे। शासन स्तर पर भी कई बार सकारात्मक कार्यवाही की पहल हुई। वित्त और कार्मिक विभाग से राय ली गई।

मगर, शासन स्तर पर निर्णय हो, इसके पहले ही कुछ सफाई कर्मचारी व उनके संगठन के प्रतिनिधि हाईकोर्ट चले गए, जहां शासन के अधिकारी अवमानना के दायरे में आ गए।

बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर से मिलने वाले पदोन्नति के लाभ के लिए कोर्ट के जरिए दबाव बनाने का रास्ता शासन को नागवार गुजरा। लिहाजा, तमाम तर्क व औचित्य बताते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।

अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने सफाई कर्मचारियों की ग्राम पंचायत अधिकारी के 20 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति के लिए नियमावली में प्रावधान की आवश्यकता व औचित्य न होने का हवाला देते हुए प्रस्ताव को खारिज करने का आदेश जारी कर दिया है। यह फैसला पिछले मई में ही लिया गया था,लेकिन यह अब सामने आया है।

1.46 लाख शिक्षामित्र पहले से नाखुश, अब ये भी नाराज

प्रदेश के 1.46 लाख शिक्षामित्र अपना मानदेय न बढ़ने से पहले से नाराज हैं। पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारियों की नाराजगी का एहसास पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर हो चुका है।

शासन के अफसरों ने लोकसभा चुनाव से पहले एक दशक पुरानी मांग को खारिज कर राजस्व गांव स्तर पर कार्यरत करीब एक लाख सफाईकर्मियों की फौज को सरकार के विरोध में उतरने का रास्ता खोल दिया है।

बताते चलें उच्च योग्यता वाले सफाईकर्मियों की पदोन्नति की मांग लंबे समय से चल रही थी। पंचायतीराज निदेशालय ने सपा शासनकाल में पदोन्नति का प्रस्ताव भेजा। इसे अप्रैल-2013 में यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि सफाई कर्मचारियों की भर्ती समूह घ नियमावली में की गई है।

ऐसे में अलग से नियमावली बनाने का औचित्य नहीं है। इसके बाद फरवरी-2014 में निदेशालय ने सफाईकर्मियों को न्याय पंचायत स्तर पर सफाई नायक, विकास खंड स्तर पर सफाई पर्यवेक्षक और जिला स्तर पर जिला सफाई निरीक्षक के पद पर पदोन्नति का प्रस्ताव भेजा था।

लंबी लिखापढ़ी के बाद वर्ष-2018 में शासन ने प्रस्ताव को व्यावहारिक न बताते हुए फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया। लेकिन, कर्मचारी पदोन्नति की मांग पर डटे रहे। कर्मचारी बताते हैं कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया गया।

फिर वादे के मुताबिक चुनाव बाद फरवरी-2020 में निदेशक पंचायतीराज ने सफाई कर्मियों को ग्राम पंचायत अधिकारी के 20 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति का नया प्रस्ताव शासन को भेजा।

मगर, शासन ने सफाई कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता साक्षर होने तथा समूह ग के पदों पर अर्हकारी शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट होने का हवाला देते हुए प्रस्ताव पर विचार से फिर इनकार कर दिया।

बताया जा रहा है कि इसके बाद सफाईकर्मियों के संगठन की मांग पर अक्तूबर-2022 में पंचायतीराज निदेशालय ने शासन को पदोन्नति के लिए नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव फिर भेजा।

अब शासन के पंचायतीराज विभाग ने लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रस्ताव को तमाम तर्क देते हुए खारिज कर दिया है। इससे गांव-गांव तक तैनात सफाईकर्मियों में जबर्दस्त नाराजगी है।

प्रस्ताव खारिज करने के तर्क

– केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना में ग्राम पंचायतों में सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
– सफाई कर्मियों की नियुक्ति व भर्ती के समय भविष्य में पदोन्नति की कोई प्रतिबद्धता नहीं व्यक्त की गई थी।
– सफाई कर्मचारी की नियुक्ति मुख्य रूप से गांव की सफाई कार्य के मद्देनजर राजस्व ग्राम के अनुसार की गई है।
– वित्त विभाग के आदेश के अनुसार भविष्य में चतुर्थ श्रेणी के किसी भी पद पर नियुक्ति न किए जाने का प्रावधान है।
– सफाई कर्मचारी का पद राजस्व ग्राम के अनुसार एकल पद है। यदि पदोन्नति दी गई तो इससे उत्पन्न रिक्ति से उस गांव की सफाई के लिए बनाई गई व्यवस्था बनाना फिर से संभव नहीं होगा।

कर्मचारी नेताओं की तेजी पड़ी भारी

कुशीनगर के सफाई कर्मचारी प्रमोद गौड़ व सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष क्रांति सिंह पदोन्नति के लिए नियमावली बनाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए थे। शासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया तो इन याचियों ने अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह के खिलाफ अवमानना वाद दाखिल कर दिया। बताया जा रहा है कि इसके बाद ही प्रकरण में निर्णय की दिशा नकारात्मक हो गई।

सफाई कर्मचारी पूरे मनोयोग से काम कर रहे हैं। इसकी हर स्तर पर सराहना हो रही है। योग्यताधारी सफाईकर्मियों को पदोन्नति देने के प्रस्ताव पर हर स्तर से सकारात्मक आश्वासन था। पता नहीं कैसे प्रस्ताव खारिज हो गया।

उच्च पद की योग्यता होने के बावजूद एक ही पद पर पूरे जीवन किसी कर्मी को तैनात रखना किसी भी तरह उचित नहीं है। प्रकरण में कृषि उत्पादन आयुक्त व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।

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