बैन होने से पहले सरकार ने इतने हजार करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड छाप डाले, पूरी बात जान लीजिए
सरकार ने बीते साल 29 दिसंबर से 15 फरवरी 2024 के बीच जारी किए गए 8350 इलेक्टोरल बॉन्ड ( Electoral Bonds ) में हर एक की फेस वैल्यू एक करोड़ रुपये बताई है. एक RTI में सरकार ने इसका जवाब दिया है.
एक रिटायर्ड नेवी ऑफीसर ने इसको लेकर RTI दायर की थी. बता दें कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड ( Supreme Court Ban electoral bond ) पर रोक लगा दी थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर्ड कोमोडोर लोकेश के बतरा ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर RTI दायर की थी. जिसके जवाब में वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट ने बताया,
‘इलेक्टोरल बॉन्ड के कमीशन और प्रिंटिंग पर सरकार ने 13.94 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं SBI (इस योजना के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान है) ने इस योजना के तहत बिक्री के लिए 12.04 करोड़ रुपये GST के साथ चार्ज किए हैं. साथ ही स्कीम के तहत रुपये देने वालों और राजनीतिक पार्टियों से किसी भी तरह का टैक्स नहीं वसूला गया है. ‘
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में स्कीम लॉन्च होने के बाद से सरकार 35,660 करोड़ रुपये के 33000 बॉन्ड छाप चुकी है. जिसमें प्रति बॉन्ड की फेस वैल्यू एक करोड़ रुपये है. इसी के साथ 10 लाख की फेस वैल्यू वाले 26,600 बॉन्ड भी छापे गए हैं.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाते हुए इसे अवैध करार दिया था. इस फैसले में कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी. कोर्ट का कहना था कि इस स्कीम में किए गए बदलाव असंवैधानिक हैं.
बता दें कि चुनाव आयोग जल्द ही राजनीतिक पार्टियों की साल 2023-24 की रिपोर्ट जारी करने वाला है. मार्च 2018 से जनवरी 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री से 16,518 करोड़ रुपये का फंड जमा किया गया है. इसमें आधे से ज्यादा फंड बीजेपी के हिस्से रहा है. पार्टी ने चुनाव आयोग को बताया था कि साल 2017 से 2023 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड से उसने 6,565 करोड़ रुपये जमा किए हैं. वहीं कांग्रेस दूसरे नंबर थी. उसके पास 1,123 करोड़ रुपयों का फंड था.