चुनाव से पहले AAP को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने ऑफिस खाली करने का आदेश दिया, लेकिन…
सुप्रीम कोर्ट से आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. उसने राउज एवेन्यू स्थित AAP के दफ्तर को 15 जून 2024 तक खाली करने का आदेश दिया है. आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने AAP को दफ्तर खाली करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जमीन ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के लिए दिल्ली हाई कोर्ट को आवंटित की गई थी, जिस पर ‘कब्जा’ कर लिया गया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AAP अपने ऑफिस के लिए जमीन के संबंध में केंद्र सरकार के पास आवेदन करे. इस जमीन का उपयोग राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर के विस्तार के लिए होना था. यहां एक अतिरिक्त कोर्टरूम का निर्माण होना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आगामी चुनावों के मद्देनजर हम आपको तीन महीने का अतिरिक्त समय दे रहे हैं. उसके बाद यह जमीन खाली करनी होगी.’
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
इससे पहले 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी और नाराजगी जताई थी कि दिल्ली हाई कोर्ट को अलॉट की गई जमीन पर AAP का ऑफिस है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था, ‘वहां पार्टी का दफ्तर कैसे हो सकता है?’
CJI ने पूछा था कि हाई कोर्ट को अलॉट की गई जमीन उसे कब वापस दी जाएगी. सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, लोक निर्माण सचिव और वित्त सचिव को मामले को सुलझाने के लिए अगली सुनवाई से पहले दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था.
वहीं AAP ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राउज एवेन्यू कोर्ट एरिया में जिस जमीन पर पार्टी का ऑफिस है, वो अतिक्रमण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने जवाब में AAP ने बताया था कि पार्टी को वो जमीन 2015 में अलॉट की गई थी.
AAP ने ये शर्त रखी थी
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक अब AAP ने कोर्ट में कहा थी कि वो जमीन राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर के विस्तार के लिए निर्धारित किए जाने से पहले ही कानूनी तौर पर AAP को आवंटित की गई थी. AAP के वकीलों की तरफ से कहा गया था कि पार्टी अपने मौजूदा ऑफिस परिसर को खाली करने के लिए तैयार है. उन्होंने अदालत से कहा कि अगर कोर्ट उसके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के अनुसार पार्टी ऑफिस के लिए दूसरी जगह देती है, तो वो मौजूदा ऑफिस वाली जगह छोड़ देगी.
हालांकि कोर्ट के आदेश से लगता है कि उसने इस शर्त को नहीं माना है.