Bilkis Bano Case: क्या है बिलकिस बानो रेप केस, 05 महीने की गर्भवती की पिटाई और फिर वीभत्स रेप

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोर्ट खुलने के साथ अहम फैसला सुनाते हुए गुजरात दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो से गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को खारिज कर दिया है. इस मामले में दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा कम करते हुए रिहा कर दिया था. क्या था ये मामला जिसने पूरे देश में तहलका मचा दिया था. इसके बाद जब इसके दोषी जेल से जल्दी रिहा किए गए तो भी ये सुर्खियां बना. जानते हैं कि क्या था ये मामला.

दरअसल गुजरात में वर्ष 2002 में दंगा हुआ. तभी बिलकिस बानो से नृशंस गैंगरेप तो हुआ ही, साथ ही उसके परिवार के 07 लोगों की आंखों के सामने ही हत्या कर दी गई. इसके बाद दोषियों को आजीवन कारावास की सजा हुई. मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी. फिर बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा पर मुहर लगाई.

गुजरात सरकार ने 2022 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. ये रिहाई गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत की गई. जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़वाडिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को गोधरा उप कारागर से रिहा कर दिया गयाजिस पर देश में विवाद छिड़ गया. इसे लेकर जगह जगह प्रदर्शन हुए.

बिलकिस बानो के साथ क्या हुआ था

27 फ़रवरी 2002 को ‘कारसेवकों’ से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गोधरा के पास आग लगा दी गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हुई. इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गुजरात में दंगे भड़क उठे. दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस बानो साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और 15 लोगों के साथ गांव से भाग गई.तब वह 05 महीने की गर्भवती भी थी.

 

03 मार्च 2002 को बिलकिस का परिवार छप्परवाड़ गांव पहुंचा. वहां वो खेतों में छिप गये. लेकिन उन्हें खोज लिया गया. दायर चार्ज़शीट के मुताबिक़ 12 लोगों समेत करीब 30 लोगों ने लाठियों और जंजीरों से बिलकिस और उसके परिवार पर हमला किया.

 

बिलकिस और 04 महिलाओं की पहले पिटाई की गई. फिर उनके साथ रेप किया गया. इनमें बिलकिस की मां भी शामिल थीं. हमलावरों ने परिवार के कई लोगों उनके आंखों के सामने हत्या भी कर दी. हमले में 07 मुस्लिम भी मारे गए. ये सभी बिलकिस के परिवार के सदस्य थे. मरने वालों में बिलकिस की बेटी भी शामिल थीं.

 

03 घंटे तक बेहोश रही बिलकिस

इस घटना के बाद बिलकिस कम से कम तीन घंटे तक बेहोश रहीं. होश आने पर उसने एक आदिवासी महिला से कपड़ा मांगा. फिर एक होमगार्ड से मिली, जो उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए लिमखेड़ा थाने ले गया. वहां कांस्टेबल सोमाभाई गोरी ने शिकायत दर्ज की. बाद में गोरी को अपराधियों को बचाने के आरोप में 03 साल की सज़ा मिली.

रिलीफ कैंप पहुंचाया गया

बिलकिस को गोधरा रिलीफ़ कैंप पहुंचाया गया और वहां से मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. उनका मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *